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बीजेन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Lrbrary, Jain Siddhant Bhavan, Arrab
१६६० मिती जेष्ठ कृष्ण ६ वार रविवार । सुत श्रीवीरनलाल के लेखक दुरगालाल ।
जैनी आरा मे रहे, काशीलगोत्र अग्रवाल ॥ अग्रेजी सरकार बहादुर ११ मई सन् १६०३ ।
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६३५. ऋषिमंडल पूजा
आद्य ताक्षरसलक्षमक्षर वाप्पयस्थितम् । अग्निज्वालासमानाद् विदुरेखासमन्वितम् ।।१।। यावन्मेरुमहीराशांक . .. "।
-- ऋषिमडलस्य तु महापूजा विधिनदतु ॥ ति श्री ऋषिमडल पूजाविधि समापिता.। देखे-Catg. of Skt & Pkt. Ma.,P. 629.
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६३६. रूपचंद्र शतक
अपनी पद न विचारहु, अहो जगत के राय । भव वन क्षायक हार है, शिवपुर सुधि बिसराय ।। रूपचद सद् गुरुनिकी जनु बलिहारी जाइ।
आपुन व शिवपुरि गए, भव्यनु पथ दिखाइ ॥१०॥ इति श्री पाडे रूपचद कृत शतक सपूर्णम् । ६३७. सकलीकरण विधान
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देखें, क्र. ०२६ । श्रीमद्रमस्तुमलवजितशामनाय,
निर्वासितासमवसाषकुशामनाय । धर्मावृष्टिपरिषिक्त य गत्रयाय,
देवादिदेववपरमेश्वरमोजिनाय ॥en इति स्तवनम्। -
देखे, (१) दि. जि० अ० २०, पृ. ११४ ॥ १३८. सकलौकरण विधान
देखें, २६ ।
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