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________________ २७ Catalog se of Sanskrit Prakrit, Apabhramsha & Hindi Manuscripts (Purana Carita, Katha ) पुस्तकमिदं रघुनाथ द्विजलेखित पट्टनपुरे आलमगज निवसति जिनप्रसादात् मगलमस्तु । । ६८. नेमिनाथचरित्र Opening : प्राणित्राणप्रवर्णहृदयौ वधुवर्ग समग्रम्, हित्वा भोगान्सहपरिजनरूग्रसेनात्मजा च। श्रीमान्न मिविपयविमुखो मोक्षकामश्चकार, स्निग्धच्छायातरुपु वसति रामगिर्याश्रमेषु ॥ Closing • श्री नेमिनाथ का निर्मल चरित्र रचा जो कि राजीमती के दुख से आर्द्र है। . Colophon इति श्री विक्रमकवि विरचित नेमिचरित हिन्दी भाषानुवा सम्पूर्णम् । ६६. ने मनायपुराण Opening "श्री मन्नमि जिन नत्वा लोकालोकप्रकाशकम् । तत्पुराणमह वक्षे भव्याना सौख्यदायकम् ॥ Closing. शाति कान्ति सुति सकलसुखयुता सपदामायुरुच्च, सौभाग्य सावुमग सुरपति महित मारजैनेन्द्रधर्मम् । विद्या गोत्र पवित्र सुजन जन त्रादिताति, "श्री नेमे सुत्पुराण दिशतु शिवपद वोत्र ॥ Colophon. इति श्री त्रिभुवनैक चूडामणि श्री नेमिजिनपुराणे भट्टारक श्री मल्लिभूषण शिष्याचार्य श्री सिंहनदी नामाकिते ब्रह्मनेमिदत विरचिते श्री नेमितीर्थकरपरमदेव पचम कल्याणक व्यावर्णनो नाम पद्मनाम नवम बलदेव कृष्णनाम नवमनारायण जरासघ नामप्रतिनारायण चरित्र व्यावर्णनो नाम पोडशोऽधिकार समाप्त । श्री शुभमिति आश्विनकृष्ण पचमी गुरुवार वीर स० २४६० विक्रम स० १९९० को यह पुस्तक लिखकर पूर्ण भई। हस्ताक्षर रोशनलाल लेखक । आरा जैनसिद्धान्त भवन में प्रतिलिपि की गई। द्रष्टव्य-(१) दि० जि० न० र०, पृ० १८ । • । (२) जि. र० को०, पृ० २१८ । (३) प्र. जै० सा०, पृ० १६६ । (४) आ० सू०, पृ० ८४ ।
SR No.010506
Book TitleJain Siddhant Bhavan Granthavali Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1987
Total Pages531
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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