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भीजैन नाटकीय समायण ।
कमला--महारानीजी महल में तो कहीं नहीं है । पहरे दारों से पंछा वो भी कहते हैं कि यहां कोई भी नहीं आया।
विदेहा-तब तो अवश्य ही उसे कोई देव उठा कर ले गया। अरे दुष्ट! तू मुझे भी मेरे बच्चे सहित क्यों न उठा लेगया हाय न मालूम मेरा बच्चा किस अवस्था में कहां होगा ? नौ माह तक कष्ट सहा किन्तु फिर भी पुत्र का मुख न देख' सकी । हाय पुत्र का हरण मेरे लिये मरण तुल्य है । न मालूम उस दुष्ट देव ने उसे कहां पटका होगा ( रोती है )
जनक---( आकर ) क्यों कमला ! तुम्हारी महारानी क्यों रोती हैं ?
कमला--महाराजाधिराज, रात्री को महारानी के सोतेहुये इनके पुत्र को कोई दुष्ट देव हर कर ले गया है । इसीसे ये इतनी व्याकुल हैं।
जनक-संसार में हर एक प्रकार का वियोग सहा जा सकता है। किन्तु स्त्रियों के लिये पती और पुत्र का वियोग असह्य होता है। मेरे राज्य का तो दीपक ही बुझ गया ( दुखी होता हैं ) नहीं, नहीं, इस समय मुझे स्वयं न दुखी होना चाहिये । किन्तु दुखसागर में डूबी हुई रानी को समझाना चाहिये
विदेहा--हे स्वामी! श्राप किसी प्रकार मुझे पुनसे मिलाओ, मैं उसके बिना नहीं रह सकती।