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जम्बूस्वामी चरित्र
मिल्लमाल विशाल देशमें गया। अर्बुदाचल ( माबू) पर प्राप्त हुमा । महा रमणीक संपत्ति पूर्ण काट देशको देखा। चित्रकूट पर्वत होकर मालवादेशमें गया। इस भवंती देशके जिन मंदिरोंकी महिमा क्या वर्णन करूं। फिर उत्तर दिशामें गया । शाकंभरी पुरी गया, जो जिन मंदिरोंसे पूर्ण है व मुनियोंसे शोभित है। काश्मीर, करहार, सिंधुदेश मादिमें होकर मैं व्यापार करता हुमा पूर्वदेशमें आया । कनौज, गौड़देश, अंग, बंग, कलिंग, मालंधर, बनारस व कामरूप (मासाम)को देखा। जो जो मैंने देखा मैं कहांतक पहूं।
इस तरह परम विवेकी भंवृकुमार स्वामी जगतपूज्य नयवंत हो जो विरक्तचित्त हो पर पदार्थ के ग्रहणसे उदास हो स्त्रियों के मध्यमें बैठे चोरकी बात सुन रहे हैं।
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