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जम्बूस्वामी चरित्र
शक्ति पड़ना भनुभाग बंध है। चारों ही बंध एक साथ योग भोर कषायोंसे होते हैं।
संवर तत्व। मास्रवके रोकनेको संवर कहते हैं। जिन शुद्ध भावोंसे काँका भाना रुकता है वह भाव संवर है। मौके भासवका रुक जाना यह द्रव्य संवर है।
निर्जरा तत्व। कोके आत्मासे अलग होनेको निर्भरा कहते हैं। निर्जराके दो भेद हैं-सविपाक निर्जरा और अविपाक निर्जरा । जो कर्म पककर अपने समयपर झड़ता है वह सविपाक निर्जरा है। जो धर्म पकनेके पहले शुद्ध भावोंसे दूर किया जाता है वह भविषाक निर्जरा है। यह निरा संबरपूर्वक होती है व यही कार्यकारी है। तत्त्वज्ञानियोंने इस निर्जराके दो भेद कहे हैं-जिन शुद्ध भावोंसे कर्मकी निर्जरा होती है वह भाव निर्जरा है। उन शुद्ध भावों के प्रभावसे काँका झड़ जाना द्रव्य निर्जरा है।।
मोक्ष तत्व। जीवका सब मौके क्षय होनेपर अशुद्धावस्थाको छोड़कर शुद्ध भवस्थाको प्राप्त होना मोक्ष है । मोक्ष पर्याय में अनंत ज्ञान, अनंत आनंद मादि स्वभावोंका प्रकाश स्वतः होजाता है।
. पुण्य पाप पदार्थ। शुभ भावोंसे पुण्य कर्मका व अशुभ भावोंसे पाप कर्मका बंध