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________________ सस्बूस्वामी चरित्र विनयवान था. जितेन्द्रिय था, सन्तोषी था तथा राज्यलक्ष्मीको वश रखनेवाला था। श्रेणिक राजाको विद्याका प्रेम था, कीर्तिका भी अनुराग था वादिन बजानेका राग था। उसके पास लक्ष्मीका विस्तार था, विद्वान लोग उसकी माज्ञाको माथे चढ़ाते थे। राजा श्रेणिक ऐसा प्रतापी था कि उसके प्रतापकी भमिकी ज्वालासे अभिमानी शत्रु क्षणमात्रमें इसतरह ठंडे होजाते थे जैसे मागके लगने से तिनके भस्म होजाते हैं। जैसे कमलकी सुगंधसे खिंचे हुए भौरे कमलकी सेवा करते हैं वैसे बड़े बड़े राजा महाराजा श्रेणिकके चरणोंको सदा प्रणाम करते थे। इसी राजाने पहले मिथ्यात्व अवस्थामै अज्ञानसे एक जैन मुनिराजको उपसर्ग किया था, तब तीन संक्लेशमई भावोंसे सातवें नर्ककी मायु बांधली थी। वही बुद्धिमान् श्रेणिक पीछे कालकब्धिके प्रसादसे विशुद्ध भावधारी होकर क्षायिक सम्यग्दर्शनका धारी होगया। वह शीघ्र ही कर्मोझो नाश करनेवाला भावी उत्सर्पिणीकालमें प्रथम तीर्थकर होगा । श्रेणिक राजाका सब वृत्तान्त अन्य कथाअन्थोंसे जानना चाहिये, यहां विस्तारमयसे संक्षेपमात्र ही कहा है। धर्मात्मा रानी चेलना। राजा श्रेणिककी धर्मपत्नी चेकना रानी पतिव्रता, व्रत, शील व धर्मसे पूर्ण सम्यग्दर्शनको धारनेवाली थी। यद्यपि भन्म अनेक स्त्रियां राजाके अंत:पुरमें थीं, परन्तु श्रेणिश चेलनाके सहवासमें ही भपनेको भोगिनी सहित मानता था। वह चेकना रूप,
SR No.010505
Book TitleJain Natakiya Ramayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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