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जम्बूस्वामी चरित्र
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४९ दिन प्रलय होना। छठे बालके अंतमें कालवे प्रभावसे इस मार्यखण्ड प्रलय होती है । सात सात दिनतक क्रमले मग्नि, रज भादिकी वर्षा होती है। इसतरह लगातार उनचास दिन तक महान कष्टदायक भयंकर उपद्व होता है। उस क्षेत्रके रक्षक देव वहत्तर जोडोंको स्त्री पुरुष सहित लेजाकर गुप्ता आदिमें रख देते हैं।
इस भार्यलण्ड में शेष सब छत्रिम रचना भस्म होजाती है। अकृत्रिम रचना बनी रहती है। उसे कोई नाश नहीं कर सकता है। चिना पृथ्वी निस्य बनी रहती है। इस तरह अनंतबार कालने परिवर्तनमें छठे साल के अंत प्रलय होचुकी है। कहा है
द्वासप्ततिजीवानां दंपतीमिथुन तदा । तत्राधिकारिभिर्देवैनीयते गहरादिषु ॥ १८७ ॥ शेषमनार्यखण्डेऽस्मिन् कृत्रिय भस्मसाद्भवेत् । अकृत्रिमं तु केनापि कर्तुं शक्य न वान्यथा ॥१८८॥
इसप्रकार भारतक्षेत्र में अवमर्पिणीके छःकाल, फिर विरोध कपसे उत्सर्पिणीके छःकाल वर्तते रहते हैं ।
मगधदेश वर्णन। ऐसे भरतक्षेत्रमें मगधदेश पृथ्वीमें प्रसिद्ध बसता है। जिस देशची प्रजा भोग सम्पदासे नित्य प्रसन्न है व जहां सदा उत्सव होते रहते हैं। जिस देशमें मेघोंकी वर्षा सदा हुआ करती है। वहां कभी अतिवृष्टि, अनावृष्टि आदि ईतियां नहीं होती हैं, न वहां