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जम्बूस्वामी चरित्र
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है । सर्व ही मोगभूमिबासी रोग रहित, मलमूत्र नीहार रहित, बाधा रहिल व खेद रहित होते हैं। उनके शरीरमें पसीना नहीं होता है व उनको कोई आजीविका नहीं धरनी पड़ती है तथा वे पूर्ण भायुके भोगनेवाले होते हैं।
वहांकी स्त्रियों की ऊंचाई व मायु पुरुषोंछे समान होती है। जैसे कल्पवृक्षमे करावेलें मासक्त होती हैं इसी तरह वे अपने नियत पुरुषों में मनराग खनबाली होती हैं। जन्म पर्यंत दोनों प्रेमसे भोग संपदाको भोगते हैं सर्व भोगभूमिवासी स्वर्गके देवोंके समान स्वभावले सुन्दर होते हैं। उनकी वेणी स्वभावस मधुर होती है, उनकी चेष्टा स्वभावसे ही सुन्दर होती है। वहां पृथ्वीमायिक दश जातिक कर-वृक्ष होते हैं। उनसे वे भोगभू मवासी इच्छानुकूक आहार, घर, बादित्र, माला. आभूषण, वस्त्र आदि भोगकी सामग्री प्राप्त कर लेते हैं। कल्पवृक्षों के पत्ते सदा ही मंद मंद सुगंधित हवासे हिलते रहते है। साल प्रभाव व क्षेत्रकी सामर्थ्यसे ये करपवृक्ष प्रगट होते हैं। क्यों इनमे पुण्यवान मानवोंको मनके अनुसार रुचिकर भोग प्राप्त माते हैं। इसलिए इनको विद्वानों ने इल्पवृक्ष कहा है। इनकी जातियांश प्रकारका होता हैं । (१) मयांग (२) वाजित्रांग (३) भूषणांग (१, पुष्मालांग | ज्योतिभा (६) दीपांग (७) गृहांग ८) भोन ग १९) पात्रांग :१०; वस्त्रांग से इनके नाम हैं वैसी ही 46 प्रश्ट कर में ये पारणमन करते । भोगभूमिवासी इन ६. वृक्षां प्राप्त भागको अपने पुराने बदसे भामु