________________
( २२२ )
श्री जैन नाटकीय रामायण
-
-
% 3D
-
ब्रतो क्या आप रामायण को बिल्कुल सत्य मानते हैं?
सा०-उसे मैं ही नहीं किन्तु सारा हिन्दुस्तान सत्य मान रहा है। जिसे सब सत्य रहे वो सत्य है।
5०---यह बात कदापि नहीं होसकती। यह हमारा नाटक उस पद्मपुराण के आधार पर है जिसको रचना को आज हजारों वर्ष व्यतीत होगये। जिसमें उसके वचन हैं जो भूत भविष्य और वर्तमान तीनों कालों का ज्ञाता था, जिसे राग द्वेष छू तक भी नहीं गया था, किंतु अभाग्यवश अभी तक उसका शास्त्र रूप होने से प्रचार नहीं हुआ था । आपने क्या बाल्मीकीजी के विषय में जिनकी बनाई हुई रामायण पर विश्वास करते हो, कुछ नहीं सुना श्रापके यहां ही उन्हें पका चोर हिंसक और झूठा बताया है ! .. सा. किन्तु वो बाद में धर्मात्मा बन गये थे। तभी उन्होंने रामायण की रचना की है।
७०-क्या आप बाल्मीकीजी को केवलज्ञानी मानते हैं ? सा०--नहीं। ।
ब्र- तो फिर उन्होंने जो कहा है सो सब सत्य है यह कभी नहीं होसकता । सारे जीवन उन्होंने कभी शास्त्रों का अध्ययन नहीं किया। बाद में राम की भक्ती में लवलीन होकर कुछ सुनी हुई कुछ जोड़ी हुई रखकर रामायण बनादी ।
सा--किंतु वो तो संस्कृत में रची हुई है।