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धीवर कमाई गै न्यात। उपजीने न सूत्रो जिसौं, जौवा ऐसौ न रहौ कोई जात । जीवा० ॥ २१॥ चौदह हो राजलोकमें, जीवा जन्म मरगा गे जोड़। खाली बालाग्रमात्र यह, जौवा ऐसौ न रही कोई ठौड़। जौवा० ॥ २२ ॥ यही जीव गजा हुवो, नोवा हस्ती बान्ध्या बार । कबहिक कर्मा वशे, जीवा न मिले अन्न उधार । जौवा० ॥ २३ ॥ इमि संसार भमतो थको, जौवा पाम्यो सम्यवसार । भादगै ने छिटकाय दिवि, जौवा जाय जमागे होर। जीवा० ॥ २४ ॥ खोटा देवज अविसा, जौवा लागो कुगुरु कड़। खोटा धर्मज आदर्ग, जौवा कीध चउगत फेर। जीवा० ॥ २५ ॥ कवहिक नरके गयो, जौवा कब हौ हुवो तू देव । पुण्य पापना फल थकी, जीवा लागौ मिथ्यात्वनों टेव। जीवा ॥ २६ । ओगाने बले मुमती, जौवा मेरु जितगै लोध । एक हौ सम्यक्त्व विना, जौवा कार्य नहीं हुश्री सिद्ध। जीवा० ॥ २७ ॥ चार ज्ञान तणा धणी, जीवा नरक मातवौं नाय। चौदह पूर्वनी भण्यो, जौवा पड़े निगोदने मांय । जौवा० ॥ २८ ॥ भगवन्त नो धर्म पोल्यां पछे, जौवा करणी ने जावे फोक । कदाचित पड़वाई हुवे, जौवा अर्ध पुद्गल माहे मोक्ष । जौवा. ॥ २६ ॥ सूक्ष्मने वादर पणे, जौवा मेलौ वर्गगमा सात ।