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नो पाहार अपवित्र, प्रथम पणे तें लौना है। चेत. ॥ ५॥ ऊंठ कोड़रौ सुई सारको, तातौ कर चोभाना है। तिणसू अष्ट गुणी वेदना गर्भमें, देख्या दुःख असमाना है। चेत. ॥ ६ ॥ बालपणो थे खेल गंवायो, यौवनमें गर्वाना है। अष्ट प्रहर कीधी मद मस्ती, खोटी लाग लगाना है। चेत० ॥ ७॥ रङ्गी चङ्गी राखत देही, टेढ़ी चाल चलाना है। आठ पहर कौधो घर धन्यो, लग रह्या माध्याना है। चेत. ॥८॥ मात पिता सुत बहिन भाणजौ, तिरिया सूं दिल चीना है। वे नहीं तेरे तूं नहीं उनका, खार्थ लगी संगीना है। चेत. हा पर्थ अनर्थ करी धन मेल्यो, घणांसं बैर बंधाना है। लक्ष्मी तो तेरे लारै न चलसी, यहांको यहां रह जाना है। चेत. ॥ १०॥ ऊंचा ऊंचा महल चिणाया, करै घना कारखाना है। घड़ी एक राखत नहि घरमें, नालत जाय मशाना है। चेत० ॥ ११ ॥ धर्म सेती वष न धरना, परभव सेतो डरना है। चित्त आपनो देख मुसाफिर, करनी सेती तरना है। चेतः ॥ १२ ॥ छिन छिनमें तेरी आयु घटत है, अञ्जलौ जैसे झरना है। क्रोड़ों यत्न करे बहु तेरा, तो पण इक दिन मरना है। चेत• ॥ १३ ॥ साधु सन्तको सुनी न