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धायक श्रीपूज्यनारे। हिरदै में लौग्यो पोय । ज्ञान सागर आयां बिनाएँ। जौव मैल किम धोय ॥ खा० ॥ ६ ॥ सोमं दर्शण श्रीपूज्यनारे । हिग्दैमे लोज्यो पोय ॥ सागर ज्य' गुण पूजनारे । गागर ज्य केस टालोय ॥ स्वा० ॥ ७॥ गुण बिना दर्शण भेषनारे। 'कर २ दूबे सोय ॥ पूज बिना दर्शगा किंरा करे। आप समा नहौं काय ॥ खा० ॥ ८ ॥ पाषण्ड जाडो दूण भरतमें रे। भिक्षणजी दियो रे बिगोय ॥ भिनो चौरज्य जुवान मरोड़नेरे ज्य चरचा में लियारे निचोय ॥ खा० ॥६॥ धुवों अमर घासनोंरे। कस्तुरी संग लिपटोय । ज्यचित दर्शण- माहेरो। आप दूसो लियोजी मनमाय । स्वा० ॥ १० ॥ मौन काद में तड़ फेडरे। कद मिलसी मुभा तोय ॥ ज्यूं तड़ फड़े तुज श्राविकारे । कमल जैम कमलोय । खा० ॥ ११ ॥ कृषणोरो मन मेहथौरे ।, बादल बरसे सोय। पपईया मोर पुकारतो । ज्यू ग्ई बाट रह्या सर्व जोय ॥ खा० ॥१२॥ दशगा श्रीजी टुवारमेरे । सेवक दीपक जोय ॥ भाण भलो जद अगसौ। शोभो चरणा स्यू कमल लगोय खा० ॥ १३ ॥