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________________ : अथ चौरासी लाख योनि। सात लाख पृथ्वौकाय ७ सोतलाख पप्पकाय ७ सात लाख वायुकाय ७ सात लाख सेउकाय १. दसलाख प्रत्येक बनस्पतिकाय १४ चौदे लाख साधा रब वनस्पतिकाय २ दोय लाख बेंद्री २ दोय लाख सेंद्रीर दोय लाख चौद'द्रौ ४ च्यार लाख नारको ४ ध्यार लाख देवता ४ च्यार लाख तिर्यंच पंचेंद्री १४ चौदे लाख मनुषको नाति एवं च्यार गति चौरासी लाख नीवा योनि में बारम्वार खमत खामना । ॥ अथ श्रद्धा उपर सझाय ॥ देशी आरसी को। देव गुरु धर्म शुद्ध चाराध्यां । समकित होवे संत सारसी । यथा तथ्य दिल मांहि दरसावे। जिम मुख देख चारसी। श्रद्धा विन प्रायो अलो जानम
SR No.010500
Book TitleJain Hit Shiksha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
PublisherKumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
Publication Year1925
Total Pages243
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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