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चौसट इन्द्राका पूजनौक चौतीस अतिशय म तीस बाणी हादश गुण सहित विराजमान है ज्यां अरि. हन्ता से मांहरी वंदना तिख्खुत्ताका पाठसे मालुम होज्यो।
दजे पदे अनन्ता सिद्ध पनरा भेदे अनन्ती चोवीसी आठ कर्म खपायने सिद्ध भगवान मोक्ष पहुंता तिहां जनम नहौं जरा नहौं रोग नहीं सोग नहीं मरण नहौं भय नहौं संयोग नहीं वियोग नहीं टुःख नहीं दारिद्र नहीं फिर पाछा गर्भावासमें आवे नहीं सदा काल शाश्वता सुखामें विराजमान है इसा उत्तम सिद्ध भगवंतासें मांहरी वंदना तिख्खुताका पाठसें मालुम होज्यो।
तौजे पदे जघन्य दोय कोड़ फेवली उत्कृष्टा नव कोड़ केवलौ पञ्जमाहविदेह क्षेत्रामें विचरे छै केवल जान वीवल दर्शनका धारक लोकालोक प्रकाशक सर्व द्रव्य क्षेत्र काल भाव जायों देख छै ज्यां केवलौजी से माहरी वन्दना तिख्खुताका पाठसे मालुम होज्यो ।
चौधे पदे गणधरजी प्राचार्यनी उपाध्यायजी स्थवि रजौ तेगणधरजी महाराज के हवा है अनेक गुणे करी विराजमान छै आचार्यजी महाराज फेहवा कै षट तीस गुगो करी विराजमान छै उपाध्यायजी महाराज बोहवा
सत..