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है पचव सगुणे करौ बिराजमान है स्थविरजी महाराज कहवा के धर्मसें डिगता हुवा प्राणोंनें थिरकरी राखे शुद्ध आचार पाले पलावे ज्यां उत्तम पुरुषां से मांहरी बन्दना तिख्खुताका पोठसें मालुम होज्यो ।
पञ्चमें पदे मांहारा धर्म आचारज गुरु पूज्य श्री श्रीश्री १००८ श्री श्री कालूरामजी खामी ( वर्तमान आचारनको नांव लेगो ) आदि जघन्य दोय हजार कोड़ साधु साध्वी जामेरा उत्कृष्टा नवहजार कोड़ साधु साध्वी चढ़ाई दौप पन्दरे खेत्रांमें बिचरे है ते महा उत्तम पुरुष केहवा है पञ्च महाव्रतका पालणहार छव कायानां पौयर पञ्च समिति सुमता तौन गुप्त गुप्ता नवबाड़सहित ब्रह्मचर्य का पालक - दशविधि यतिधर्मका धारक बारे भेदे तपस्याका करणहार सतरे भेदे संजमका पालणहार बावीस परोसहका जीतणहार सताबोस गुणे करौ संयुक्त बयालीस दोष टाल आहार पांणीका लेवणहार बावन अणाचारका टालणहार निरलोभी निरलालचौ संसार नां त्यागी मोक्षनां अभिलाषी संसारसें पूठा मोक्ष से सहामा सचित्तका त्यागी अतिका भोगी अखादी त्यागी बैरागी तेड़ीया आवे नहीं नोंतीया नोमें नहीं मोलको बस्तु लेवे नहीं कनककामगौसे न्यारा बायरानी