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। २६ ) सामायेक पारणेकी पाटी। नवमा सामायक ब्रतने विष ज्यो कोई __ अतिचार दोष लागोहुवे ते आलोउं १ सामायक
में सुमता नकिधी बिकथाकिधौ हुवे अणपूरी पारी होय पारवो बिसायो होय मन बचन कायाका जोग माठा परिवरताया होय सामायकमें राज कथा देशकथा स्त्रीकथा भत्तकथा करौ होय तस्स मिच्छामि
टुक्कडं।
अथ तिख्खुताको पाटी। तिक्खु तो अयाहिणं मयाहिणं बंदामि नमसामि सक्कारेमि सम्माणेमि कल्लाणं मंगलं देवयं चेयं पझ वासामि मत्थएण बंदामी।
॥ अथ पंच पद बंदणा ॥ पहिले पदे श्री सौमंधर स्वामी आदि देई जघन्य २० (बोस ) तीर्थंकर देवाधिदेवजी उत्कृष्टो १६० ( एकसो साठ ) तीर्थंकर देवाधिदेवजी पचमाहाविदेह क्षेत्रांक विष बिचरे, अनन्त ज्ञानका धणी अनंत दर्शनका धणी अनन्त चारित्रका धणी अनन्त बल का धणी एक हजार आठ लक्षणाका धारणहार