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________________ ( १५० ) __ छिम उपजे ते असन्नी के जिणांमें तो बेद नपुंसर हो पावै के, अनें गर्भ में उपजे ते सन्नी है जिप्.. से वेद तीनोंही मावै छै। ८ टेवतामे वेद कितना पावै-उत्तर-भवनपती, वागाव्यन्तर, जोतिषी, पहिला दूजा देव लोक ताई तो वेद दोय स्त्रौ १ पुरुष २ पावै छै, और तीजा देवलोक से स्वार्थ सिद्ध ताई वेद एक पुरुष हो छ। ६ चौवीस दण्डक का नौवां के कर्म कितना उगगीस दण्डकका जीवाम तो कर्म आठही पावै छ, अनें मनुष्य में सात आठ तथा च्चार पावै छै। १ धर्म व्रत में के अव्रत मे-व्रत में। २ धर्म आजा मांहि के बाहिर श्रीबीतरागदेव को अाज्ञा मांहि छै। ३ धर्म हिंसा में के दया में-दया में। ४ धर्म मोल मिले के नहीं मिले नहीं मिले, ___ धर्म तो अलूल्य के। ५ देव मोल मिले के नहीं मिले-नहीं मिले, असल्य के।
SR No.010500
Book TitleJain Hit Shiksha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
PublisherKumbhkaran Tikamchand Chopda Bikaner
Publication Year1925
Total Pages243
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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