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२ जीव चोरके साहूकार, दोनूं नहीं कियन्याय चोर साहूकार तो जीव हवे ये अजीव है । ३ पुन्य चोरके साहूकार, दोनूं नहीं अजीव है ४ पाप चोरी साहूकार, दोनूं नहीं अजीव है । ५ आस्रव चोरके साहूकार, दोनूं है किणन्याय च्यार आसव तो चोर है, अनें अशुभ जोग प चोर छै शुभ जोग साहूकार है ।
६ संवर चोर साहकार, साहूकार है कि न्याय कर्म रोकवारा परिणाम साहूकार छै
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७ निर्जरा चोरके साहूकार, साहूकार है कि न्याय कर्म तोड़वारा परिणाम साहूकार है ।
८ बंध चोरके साहूकार, दोनूं नहीं अजीव है | ८ मोच चोर साहकार साहूकार किणन्याय कर्म मूंकायकर सिद्ध थया ते साहूकार
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॥ लड़ी छटी जीव छांडवा जोगके आदरवा जोगकी ||
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१ नीव छांडवा नोग आदरवा जोग छांडवा नोग है किपन्याय पोते नोवनं भाजन करे मेरा जीव पर ममत्व भाव न करे ।