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सुखारी तुलजरे ॥ अ० ॥ २२ ॥ ते पिग मुख सासता नहीं आवै तेहनों पारजरे । संसारना मुख छै कारमा जाती न लगै बारजरे ॥ अ० ॥ २३ ॥ संसारना मुख थिर नहीं जैसी आभा रिवायजरे ।
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: बौण संतां बार लागै नहीं जसौ कायर बाहरे || आ० ॥ २४ ॥ तन धन जोबन कारमों जैसो कसुंबल 'गजरे | दोन सात पांचका देखणा पछे होय नाय विरङ्गजरे || अ० ।। २५ || गर्भ जन्म मरण तणां भाष्या श्रीजिनरायजरे । ते धर्म कोया थौ छुटौये धर्म दयामय थायजरे || अ० ॥ २६ ॥ इम जांणी धर्म ..आदरो ढोल न कौन तामजरे । सो खोण नावै सो आवै नहीं ते सुंग राख़ो चित ठामजरे ॥ अ० ||२७|| ॥ दुहा ॥
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'धर्म कथा सुंग परखदा' हिवडै हरषित थाय । सगत सारु व्रत आदरी पाया जोण दिस नाय ॥१॥
सेठ सुदर्शन तिण समैं बोल्यो जोड़ी हाथ | पाइलै भव हुं कुंगहुं तो ते कृपा कर कहो खामौनाथ ॥२॥ धर्मघोष साधु तौण अवसर सेठ सुदर्शन ने कहै आम । पाछल भव कहुंकुं थांहरो ते सुंग राखे चित ठाम ॥३॥
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