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( ११२ ) सुदर्शण सेठ के बखान की॥ ढाल ३६ वीं ॥
___ (आछेलाल एदेशी) दूम सुंगनै मनोरमा नार ॥ छुटी आसुडारी धार ॥ आछेलाल ॥ मुळ गत आय धरणों ढलौनी ॥ १॥ वले कुटंब सहु परिवार ॥ रोवै बागां पाड । पा० ॥ विलखाथई नै विल २ करजी ॥२॥ ओ सेठ छो सगलारै आधार ॥ तिणस्यं सदन करां वारंबार । आ० ॥ सुख माहे दुःख उपनोंजी ॥३॥ रुदन करता देखि तिग वार ॥ सेठ बोल्यो तिणवार ।। आ० ॥ किसो भरोसो दूण कालरोजी ॥४॥थे सज्जनन्यातीला लोग ।। नहीं कोई राखवा जोग ॥ आ० ॥ परभव नाता जीवन नी ।।५।। काचा सग पण एह ॥ तिणस्यं किसोरे स्नेह ॥ श्रा० ॥ भो मेलो मिल्यो छै सर्व कारमोनी ॥६॥ एवासो वसीयो आय ते नहीं नेठाउ थाय ।। पा० ॥ निश्चो नहीं किण वातरोजी ।। ७ ।। काल चटको देय ।। आंधी गौगों न मेह ॥ आ० ॥ काल आवां उठ नावगोंजी ।।८॥ ह परदेशी ज्यु ताम || मोन कोईय नहीं विसगम ॥ आ० ।। हूं किसे भरोसे रहुं घर मंझेजी ॥ ६॥ में मेल्या लाखां