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जैन-गौरव-स्मृतियां
....३. सेठ लालचन्दजी कोठारी भी बहुत व्यापार कुशल, सज्जन व धार्मिक प्रवृत्ति
के हैं तथा महालक्ष्मी मिल के संचालन में काफी सफल व व्यवहार कुशल साबित : हुए हैं। महालक्ष्मी मिल के सारे कारोबार में आपको श्रीमान् सेठ हीरालालजी. काला की देख रेख व व्यवसाय का लाभ बहुत समय से मिला हुआ है । इस मील ने काफी तरक्की की है।
रा० ब० सेठ लालचन्दजी के ३ पुत्र कु० नवरतनमलजी. पन्नालालजी और । सोहनलालजी । आपने अपने पिता श्री की स्मृति में 'कुन्दन भवन' नामक विशाल । भवन धार्मिक कार्यों के लिये निर्मित कराया। इसमें मुनिराजों के ठहरने के अतिरिक्त एक कन्या पाठशाला, कुन्दन अन्न क्षेत्र कुन्दन, जैन सिद्धान्त शाला तथा कुन्दन जैन साहित्य मन्दिर भी है। आप प्रायः प्रति वर्ष मोघा भंडी के प्रसिद्ध डॉक्टर को बुलवा कर मोतिया विन्द के बीमारों का मुफ्त इलाज भी करवाते रहते हैं जिनसे हजारों व्यक्ति लाभ उठाते हैं। डॉक्टर की फीस, मरीजों को ठहराने, भोजन, दूध सेवा सुश्रुपा का सारा खर्ख आप ही का होता है।
आप का एक औषधालय भी है जहाँ मुफ्त औषधियाँ दी जाती है। इस प्रकार आए राजताने के एक प्रसिद्ध उद्योग पति, श्रीमंत्त और दानवीर सज्जन हैं।
ख० श्री कालूरामजी कोठारी, व्यावर . स्व. सेठ कालूरामजी कोठारी धार्मिक परोकारी एवं दृढ़ अध्यवसायी
सज्जन थे। श्री किशनलालजी शर्मा के भागीदारी में "किशनलाल कालराम" के नाम से ऊन तथा आढ़त का व्यापार प्रारम्भ किया अपनी व्यापारिक प्रतिभा से यश और धन का अच्छा उपार्जन किया ज्यावर के सामाजिक धार्मिक तथा व्यापारिक क्षेत्र में अच्छा सम्मान पाया। .
आपके दत्तक पुत्र श्री सुखलालजी का जन्म १६६० का है । शिक्षा मैट्रिक । वर्तमान में आपही फर्म का सञ्चालन कर रहे हैं। आप बड़े उच्च व प्रगतिशील विचारों के युवक हैं। चित्तौड़ विधवाश्रम को आपने १०००१ का दान दिया है। स्व.
सेठ फालूराम की धर्मपनि भी उदार हृदया ।। स्थ० सेठ कालूरामजी कोठारी तथा धर्म परायणा है । यह परिवार स्थानकवासी भाम्नाय का मानने वाला है।