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जैनगौरव स्मृतियां
Rakhya
अभिष्ठाता हैं एवं बाहर प्रवास करके हजारों रुपये लाते हैं । गुरुकुल की यह आनरेरी सेवा समाज के लिए अनुकरणीय है। ट्रे० कालिज बीकानेर के आप गृहपति हैं । स्नातक संघ गुरुकुल व्यावर में आपको २१ हजार की थैली भेट की । जो संभवतः समाज में पहली थैली थी । थैली को आपने स्नातकों की आगे की पढ़ाई के निमित्तमेंट करदी | साधु सम्मेलन अजमेर के मंत्री के रूप में आपने काफी सेवा की। आपके लघु भ्राता श्री शान्तिभाई और शरदचन्द भाई बम्बई - में व्यापार करते हैं । आपने अपने छोटे भाई श्री शान्तिभाई के पुत्र रसिक भाई को दत्तक लिया है । आपकी धर्मपत्नी श्री कंचन बाई आदर्श महिला हैं । ** श्री सुगनचन्दजी बोकड़ीया, व्यावर
स्थानक वासी आम्नाय के उपासक श्री जेठमलजी बोकडीया के पुत्र श्री सुगनचन्दजी ने जैन गुरुकुल व्यावरं से मैट्रिक तक शिक्षण प्राप्त कर विदेशों से ऊन का एक्सपोर्ट विजनिस करने लगे । ओस वाल समाज में विदेशों से ऊन का एक्सपोर्ट करने वाले आप प्रथम ही व्यक्ति हैं । इस व्यवसाय में आपने अच्छी ख्याति एवं सफलता प्राप्त की । आपका शुभ जन्म सं० १९७८ चैत्र सुदि १ का है । श्री सायरचन्दजी, अमरचन्द, किशोरमल और मदनलाल नामक आपके चार लघुभ्राता है।
'दी बुल मर्चेण्ट असोसीयेशन ब्यावर के. आप खजान्जी है । वेताम्बर जैन कोन्फ्रेन्स एवं जैन शिक्षण संघ के आप सदस्य हैं। इस प्रकार से सामाजिक एवं व्यवसायिक कार्यों में समान भाग लेते रहते हैं ।
"श्री जसराज जेठमल" नामक फर्म से आपके यहां कमीशन एजेण्ट और ऊन का व्यवसाय होता है। फर्म की शाखायें पाली मेड़ता सीटी आदि स्थानों पर भी है । बोकडिया ब्रादर्स के नाम से मद्रास में भी आपकी फर्म है । ★ श्री सेठ हगामीलालजी मेड़तवाल, केकड़ी
श्री सेठ ओनाड़मल जी के सुपुत्र श्री हगामीलालजी का जन्म सं. १९५१ कार्तिक सुदी १२ का हैं : आप एक व्यवसायिक सज्जन होते हुए भी ' हिन्दु" महासभा" के पदाधिकारी रहकर राजनैतिक चेतना में जागरुक व्यक्तित्व का परिचय देते हैं । आप मिलनसार, उत्साही एवं आकर्षक व्यक्तित्व के सज्जन हैं । धर्मी और शम्भुसिंहली नामक दो पुत्र हैं जो अध्ययनरत हैं !