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________________ लेन-गौरव-स्मृतियों अजमेर मेरवाड़ा * बाबू सेठ सुगनचन्दजी नाहर, अजमेर .. - पिता श्री सेड हरकचन्दजी नाहर | जन्म वि० सं० १६२६ । सन् १८६७ में एफ. ए. क्लास छोड़ कर पी० उबल्यू. डी० में नौकरी । सन् १६०० में २५ २० मासिक पर बी. ची; एन्ड. सी. रेल्वे के ऑडिट खाफिस में क्लर्क हुए और इसी विभाग : सें तरक्की पाते २ सिनियर टूवेलिंग इन्सपेक्टर आफ अकाअएट के पद पर ४२५ रु. मासिक वेतन तक पहुंचे । आप . की कार्य कुशलता, सादगी एवं मिलन सारिता से स्टाफ बड़ा खुश था । आप मार्च १६३ · में ग्रेच्युटी लेकर सर्विस से रिटायर हुए। ......... - तव से अपना जीवन सार्वजनिक व . धार्मिक कार्यों में व्यतीत कर रहे हैं। आपने अजमेर में हुए स्था.. साधु सम्मे लन के समय स्वागत समिति के मंत्री पद पर अच्छा जन सेवा कार्य किया। .. प्रोसवान महा सम्मेलन के अजमेर अधिवेशन पर स्वागताध्यक्ष ' भी आप रहे । स्थानीय श्री प्रोसवाल जैन हा: स्कूल के कई वर्ष तक संभापति रहे। श्री ओसवाल औषधालय के संस्थापक तथ श्री जैन पुस्तकालय के आप कार्य वाहक प्रधान हैं। . स्थानीय स्थानकवासी जैन समाज के आप अग्रगणीय नेता हैं । श्री नानक जैन विद्यालय व छात्रालय गुलाब पुरा के प्रधान हैं तथा परम सहायक हैं। अं नानक जैन श्रावक समिति के भी प्रधान है। भारत वर्षीय जैन समाज में आपक अच्छी प्रतिष्ठा है। आपने श्रीचाँदमलजी को दत्तक लिया। श्रीचाँदमलजी एक मिलन सार स्वभावी धर्मनिष्ठ अच्छे विचारों के सज्जन हैं। ★श्री जीतमलजी लूणिया, अजमेर जन्म सं. १६५२ । पिताश्री सेठ पूनमचन्दजी । एफ. ए. करके सन् १६१ में इन्दौर के सेठ हुकमचन्दजी के प्राइवेट सेक्रेटरी। १९१७ में "मध्यभारत ... .. T ip .... ....... -Taimurmen..--. . . . . .. . . .... .. ..
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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