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अन-गौरव-स्मृतियां
मालेसी" स्थापित कर पं. हरिभाऊजी उपाध्याय के . सम्पादकत्व में "मालव मयूर" पत्र निकाला।
देशीराज्य होने से पूर्ण सुविधा का अभाव था अतः
यनारस में "हिन्दी साहित्य मन्दिर" स्थापित कर ३ राष्ट्रीय प्रकाशन किया। सन् १९२५ में राजस्थानी
सहयोगियों की इच्छा से "सस्ता साहित्य मण्डल" अजमेर में स्थापित कर हरिभाऊजी उपाध्याय के सम्पादकत्व में 'त्यागभूमि' पत्र निकाला । नब से ही राष्ट्रीय कार्यों में विशेष रूप से.भाग लेने लगे एवं १६३० एवं ३२ में जेल यात्रायें की । सन १६३२ में । आपकी धर्मपत्नी श्रीमती सरदार वाई लुणिया अपने त्रिवर्षीय पुत्र कु० प्रतापसिंहजी .. के साथ जेलगई।
KATHA
१६४२ के अगस्त आन्दोलन में जेलयात्रा । सन ४६ में अजमेर नगर पालिका के प्रथम काँग्रेसी चेयरमैन बने एवं १६५२ में पुनः कॉग्रेस कमेटी के प्रधान बने। आपका स्वभाव बड़ा ही मिलनसार, सरल एवं सौम्य है । सुपुत्र श्री प्रतापसिंहजी लुणिया B. A. में अध्ययन कर रहे हैं। अजमेर के सब क्षेत्रों में आप बड़े सम्माननीय है।
★सेठ रामलालजी लूणिया बैंकर्स, अजमेरः
अजमेर के सबसे बड़े सर्राफ, सोने चांदी के व्यापारी तथा चैकर्स हैं !... अजमेर के सब सार्वजनिक क्षेत्रों में आपका बड़ा मन्मान है।
आपके विचार बड़े सुलझे हुए गंभीर सुधारपूर्ण व जनहित से ओत प्रोत है। जैसे धन के धनिका हैं-यश के भी धनी हैं। राष्ट्रीय, सामाजिक व धार्मिक हर कार्य में तन मन व धन तीनों से पूर्ण सहयोग रहता है। इसी कारण आप अब तक कई : संस्थाओं के सभापती व खजांची रहे हैं और वर्तमान में । ओसवाल महा सम्मेलन की कार्य कारिणी के दिस्य व अजमेर शाखा के सभापति के रूप में NRN सम्मेलन के प्रमुख कार्य कर्ता है। जमेर ओस सेठ रामलालजी लूणिय