________________
जैन-गौरव स्मृतियाँ
RA
RAN
समझौते कराये । आपके पुत्र अजीतसिंहजी शिक्षित' समझदार तथा समाज प्रेमी सज्जन हैं। आपने अपने पिताजी की स्मृति में हजारों का दान किया। सामाजिक तथा जातीय सभा सोसाइटियों में उत्साह पूर्वक भाग लेते रहते हैं । तथा प्रगति शील विचारों के सज्जन हैं। * श्री हमीरमलजी. मुरडिया बी. ए. एल. एल. बी एडवोकेट, उदयपुर
जन्म सं०:१६६४ माघ सुदि १४.. । एल. एल. बी पास कर सन् १६३५ में वकालात प्रारम्भ की । सर्वप्रथम आपने "ऋषभदेव ध्वज दण्ड" केस लिया जिस में सर चिमनलाल सीतलवाड़, श्री मोती ...... लालजी सीतलवाड़ श्री. स्वर्गीय एम. ए. ओझा, श्री के । एम. मुन्शी व अन्य बड़े . २ भारत प्रसिद्ध अभिभाषकों के साथ. . या विरुद्ध जैनधर्म के अनुपम तीर्थ के । लिए रात दिन १३ मास तक कार्य किया। यह सब कार्य अवैतनिक था । ....
शिक्षा भवन सोसायटी, दैगोर सोसा यटी, शिक्षाभवन होस्टल, मीरा विद्यालय
दि २ कई संस्थाओं सदस्य, ‘मन्त्री, तथा पदाधिकारी हैं। आप लन्दन की । एम. आर. ए. एस. के फैलों हैं। आपके . . सुजानसिंहजी, जोरावरसिंहजी, सुरेन्द्र । सिंहजी और मोहनसिंहजी नामक चार पुत्र और भंवर बाई, बादाम बाई लक्ष्मी देवी और सरस्वती देवी नामक चार कन्यायें हैं । आपके पिता श्री बख्तावरमलजी आदर्श श्रावक थे। *श्री सेठ पूनमचन्दजी श्री श्रीमाल मेहता, किशनगढ़ .
. सेठ गुलराजजी धर्म प्रेमी एवं व्यवसाय कुशल सम्जन थे : आपके श्री पूनमचन्दजी और कालुरामजी नामक दो पुत्र हुए। श्री पूनमचन्दजी ने छोटी आय में ही व्यवसाय के अच्छी उन्नति करली । जैन समाज में कार्यो में आप अग्रे सर होकर उत्साह पूर्वक भाग लेते हैं। आप सहनशील सिलनसार और शांत : स्वभावी सज्जन है। आपके लघु भ्राता भी सार्वजनिक सामाजिक कार्या में प्रवृत्ति रखने वाले युवक है.-. .
. मे० गुलराज पूनमचन्द के नाम से मदनगंज (किशनगढ़ ) थोक अन्ध, जीरा. रई एवं गल्ले का व्यापार होता है । मदनगंज के प्रतिष्टित फर्मों में से है। .
S
-