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★ सेठ रोशनलालजी चतुर उदयपुर : शिक्षा प्रसार आपका विद्या प्रेम, धर्मपरायणता, तथा सार्वजनिक प्रेम सारातीय है । उदयपुर के अन्तर्गत आपके अनवरत प्रयत्न से जो कार्क हुए उनमें उदयपुर की जैन धर्मशाला का नाम प्रमुख है। आपही के दृढ़ अध्यवसाय से भोपाल जैन वेडिंग हाउस की नींव पड़ी। एवं एक पुस्तकालय की स्थापना हुई । संवत् १६८३ में थापने केशरीपाजी में श्री तापागच्छाचार्य श्री सागरानक सूरीजी की अध्यक्षता में ध्वजर दंड चढ़वाया । इसी दिन करेडाजी नामक तीर्थ स्थान में आपनी ओर से तीन मूर्तियां स्थापित की गई । उदयपुर में जैन समाज की शायद ही कोई संस्था हो जिसमें आपका सक्रिय सहयोग नहीं होगा । आपके पुत्र श्री मनोहरलालजी B. A. L. I. B. है । और नगर के प्रमुख वकीलों में है । इनसे छोटे भाई पाचन्दनी वी. ए. हैं आपकी सार्वजनिक कार्यों में अन्यधिकरुचि हैं । पार्श्व चंदजी से छोटे अभी अध्ययन कर रहे हैं । सेठ जुनलालजी डांगी - भीलवाडा
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श्री मोतीलालजी डाँगी के सुपुत्र जन्म सं० १६५६ | आप धर्मनिष्ठ, शिक्षा प्रेमी उदार सज्जन हैं। गुलाबपुरा में "नानक छात्रावास" के हेतु एक कमरा बनवाया । श्रपने पिता श्री की स्मृति में "मोती भवनं" चनवाया. जो कि धार्मिक कार्यों व जनहित कार्य में आता है।,, भूपालगंज में आपकी ओर से शांति भवन में दो विशाल हाल बनाये जा रहे हैं
लघुता श्री भीमराजजी तथा मिश्री
जैन- गौरव स्मृतियां
लालजी हैं दोनों बन्धयों में धर्मनिष्ठा प्रेम एवं सम्प है। पुत्र रतनलालजी है । आप उत्साही मिलनसार युवक है ।
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★ सेठ जीतसिंह बाड़ीवाल, भीलवाड़ो
आपके पूर्वज गुजरात प्रान्त निवासी थे। दौलतरामजी भीलवाड़ा आकर बस गये वहीं से यह परिवार यहीं पर रह रहा है। इसी वंश में सेठ फतेमलजी हुए । आप तब ही निर्मीक विचारों के सज्जन थे स्थानीय ओसवाल पंचायती में आपका अच्छा मान था आपने अनेक बार दो विरोधी पार्टियों में सन्तोषजनक नीति से