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में गाँव सारणी (न्यात का बड़ा भोज ) भी किया था।
मेहता जसकरणजी के ३ पुत्रः हुए-सेठ डेडरमलजी, रिद्धकरण जी और नेमीचन्दजी। इनमें से श्री नेमीचंदजी बड़े व्यवसायी
और दानवीर हुए हैं आपने कई स्थानों पर कुओं और तालाबों के लिये भारी रकम दी है । पोवा पुरीजी तीर्थ में एक शाल बनवाई है।
मेहता मुन्नीलालजी के ४ पुत्र हुए-सेठ कालूरामजी, श्री लक्ष्मीचन्दजी, श्री लालचंदजी व श्री जेठमली । सेट कालूरामजी के कोई पुत्र न होने से सेट लक्ष्मी
चन्दजी के छोटे पुत्र श्री रामचन्द्र संट फतहचंदजी कोचर . जी को दत्तक लिया है।
सट लक्ष्मीचंदजी:-वर्तमान में इस परिवार के श्राप ही चालक है । श्रायु ७२ वर्ष की है । आप बड़े ही समाजप्रेमी व दानवीर तथा धर्मात्मा पुरुप हैं । आपने सं० १६७४ में जैसलमेर का गंश बड़ी धूमधाम से निकाला । जिसमें मुनि श्रमिविजय जी जमाभद्रसूरीजी श्रादि ४४ साधु साध्वियां तथा जयपुर फलोदी रतलाम पंजाब आदि स्थानों के करीव १५० म्वधर्मी बंधु थे। वापस अाते हुए फलौदी के समन्त बिरादरी को जीमन वार दी थी।
आपने योनियां, पांवा पी, बीकानेर की दादाबाड़ी आदि कर धार्मिक स्थानों पर अधी मारयों को सुविधा के लिये कमरे बनवाये है। प्रय तक अपने हाथों से काफी दान पुन्य के महान कार्य किये । बीकानेर के जैन पाठशाला को २१:०० श्री
र म की मागता व प्रदान की और कार्ड जजनों से प्रेरणा देकर साल को काफी सहायता पाचार ।
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