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जैन - गौरव - स्मृतियाँ
कलकत्ते में आपने करीब ५० वर्ष पूर्व "लक्ष्मीचन्द फतेहचंद" के नाम से ४-५ जेक्सन लेन कलकत्ता में फर्म स्थापित की थी। जो आज भी विद्यमान है और विशाल पैमाने पर व्यवसाय फैलाये हुए हैं। इस फर्म पर कपड़े का व्यवसाय होता है फर्म अहमदाबाद की कई मिलों की कमीशन एजेन्ट है
इस प्रकार आपका सम्पूर्ण जीवन बड़ा उदारता एवं धार्मिकता पूर्ण रहा है। आपके २ पुत्र विद्यमान हैं :- श्री फतहचंदजी तथा श्री रामचंद्रजी । 'मेहता फतेहचंदजी - पिता श्री की वृद्धावस्था के कारण आप ही वर्तमान में व्यवसाय की देख रेख करते हैं आपकी कार्यकुशलता और बुद्धिमता से फर्म ने काफी तरक्की की है। आपका जन्म सं १६५४ श्रावण शुक्ला ३ है ।
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आप भी अपने पिता श्री की ही तरह बड़े दानवीर और समाज प्रेमी सज्जन हैं । बड़े ही धर्मिष्ठ हैं आपने श्री सम्मेतशिखरजी के अधि ष्ठाता भोमियाजी के जीर्णोद्धार में तन मन व धन से भाग लिया है। इसके अतिरिक्त और भी कई मन्दिरों का जीर्णोद्धार कराया है, कराते हैं, और करा रहे हैं। आप ही के प्रयत्न से करसीसर गाँव के पाग कोचरों को मूलदेवी की १२|| हजार जमीन सरकार में पूरी कोशिश कर समस्त कोचर बंधुओं के नाम से पट्टा बनवा लिया है वहां एक साल व कुंडी भी आप ही की प्रेरणा से बनी हैं । आपके उत्तमचदनी नामक २७ वर्षीय पुत्र हैं जो एक होनहार विचारशील नवयुवक हैं । एवं बड़े व्यापार कुशल भी हैं ।
★ श्री धर्मचन्द सारावगी कलकत्ता
जन्म सं० ६६३ | पिता धर्मनिष्ट सेठ वैजनाथजी सरावगी । स्वावलम्बन के पुतले सेठ वैजनाथजी ने अपने पुत्र को भी सब प्रकार से योग्यतथाव्यवहारकुशल बनाने में कोई कसर न रक्खी। प्रकृत प्रतिभावान धर्मचन्द्रजी योग्य पिता के योग्य पुत्र सिद्ध हुए और आज जैनसमाज की इस प्रसिद्ध पुरानी फर्म की ख्याति को द्विगुणित बना रहे हैं। पिता मात्र धर्माराधन में लीन हैं ।
श्री धर्मचन्द्रजी स्वभाव से ही भ्रमणप्रिय रहे हैं । १६२६ ई० में अवसर पाकर आपने विलायत की यात्रा की, आप सर्वप्रथम भारतीय हैं जिन्होंने विलायत से भारत की यात्रा हवाई जहाज से की आपने हवाईजहाज चलाने का लाईसेन्स भी प्राप्त किया फलस्वरूप आज आप बंगाल फ्लाइंग, क्लब के सन्मान्य सदस्य हैं ।
आप जिस समाज या संस्था में प्रवेश करते हैं उसके सर्वस्व हो जाते . हैं। कलकत्ते की दर्जनों सार्वजनिक संस्थाओं के आप सभ्य या पदाधिकारी हैं।