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जैन गौरव-स्मृतियाँ
श्री कापरड़ाजी तीर्थ में श्री स्वयंभू पार्श्वनाथ जैन विद्यालय के १| साल तक हेडमास्टर रहे। आपने देशाटन भी काफी किया । खास खास सभी जैनतीर्थों की आपने यात्रा की।
यों तो आपने पीपाड़, जोधपुर, बम्बई आदि में व्यापार किया। फिल - हाल १२ वर्ष से आप बनारस ही में रहते हैं । सन् १९४३ में जयपुरिया बन्धुओं के साथ चांदी सोने का व्यापार शुरू किया है। व्यापार में भी आप . एक कुशल व्यापारी समझे जाते हैं। * सेठ लक्ष्म चंदजी फतहचंदजो कोचर मेहता, बीकानेर
यह परिवार अपनी उदारता व समाज प्रेम के लिये बीकानेर में प्रतिश्रीसन्त परिवार की तरह प्रसिद्ध है । इस परिवार में मेहता आसकरण जी जसकरणजी तथा मुन्नीलालजी नामक तीनो भाई बड़े दानवीर व धर्मात्मा
___मेहता प्रासकरणजी के ३ पुत्र थे-सेठ अमीचन्द जी,छोटूमलजी और हजारी मलजी-आप तीनों ने कोचरों का मोहल्ला बीकानेर में श्री विमलनाथजी का विशाल व रमणीय मन्दिर बनवाया। श्री जैनपाठशाला बीकानेर के लिये ३०००) रूपये की लागत का एक विशाल भवन दानस्वरुप प्रदान किया । कोचेरोंकी श्मशान भूमि में दो पक्की शालें तथा गोगा . गेटके पास एक धर्मशाला भी बनवाई है । इस तरह · सेट लक्ष्मीचदजी कोचर बीकानेर आपने हाथों से काफी दान पुन्य किये हैं और समाज में प्रतिष्ठा पाई हैं। बीकानेर राज्य घराने में भी आपका बड़ा सन्मान था । आप्तने अपने समय -
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