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________________ जैन- गौरव - स्मृतियाँ * जयपुर यह भारत का पेरिस कहा जाता है। इसकी नवीन बसावट बड़ी रमणीय है । यहाँ वेधशाला है । जैनों के ३०० घर और पचासों श्वेताम्बरदिगम्बर मन्दिर है | जयपुर राज्य की प्राचीन राजधानी आमेर में चन्द्रप्रभु का मन्दिर है । सांगानेर में दो मन्दिर हैं । यहाँ से पच्चीस मील दूर बर है । यहाँ ऋपभदेव जी का प्राचीन भव्य मन्दिर है । यहाँ से पचास मील दूर अलवर की सीमा से दो मील पर वैराट नगर है । यहाँ हीरविजयसूरि के उपदेश से इन्द्रमलजी ने सुन्दर मन्दिर बँधवाया था जिसका नाम इन्द्रविहार ( दूसरा नाम महोदयप्रासाद ) था । यह मन्दिर मुसलमानी काल में ध्वस्त हुआ परन्तु इसका शिलालेख मन्दिर की दीवार पर ही लगा रह गया है । अलवर :--- शहर में सुन्दर जिनमन्दिर है जिसमें प्राचीन प्रतिमाएँ है । इसमें तलघर है जिसमें भी प्रतिमाएँ है । शहर से चार मील दूर पहाड़ी के नीचे 'रावणा पार्श्वनाथ' का मन्दिर खण्डहर रूप में हैं । महावीरजी :-- यह तीर्थ जयपुर स्टेट में आया हुआ है । चन्दनगाँव स्टेशन से थोड़ी दूर पर है | यहाँ एक विशाल मन्दिर है जिसमें मूलनायक महावीर भगवान् की तीन फीट की पद्मसानस्थ भव्य प्रतिमा है । इस तीर्थ को जैनजैनतर सब पूजते हैं। चैत्री पूर्णिमा को यहाँ प्रतिवर्ष मेला भरता है । यह स्थान महान् चमत्कारी और रोग निवारक माना जाता है । मेवाड़, मालवा, मारवाड़ और राजपूताने में जैनधर्म का अत्यन्त प्रत्येक ग्राम और नगर में छोटा घड़ा थोड़े से स्थानों का ही उल्लेख किया प्रमुत्व रहा है इसलिए यहाँ के प्रायः जैनमन्दिर होता ही है । यहाँ केवल जा सका है । मध्यप्रदेश और दक्षिणभारत के तीर्थ सिरपुर : --- (ग्रन्तरिक्ष पार्श्वनाथ ) वरार प्रान्त में आकोला से ४८ मील दूर सिरपुर नामक ग्राम है। यहाँ (५०५.)
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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