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SKSekजन-गौरव-स्मृतियाँ
बनात्रा का शा यहाँ विराजमाई मन्दिरों में
वाला जिनमन्दिर वनावा कर शान्तिनाथ भगवान् की खड़ी कार्योत्सर्ग मूर्ति विराजमानकी,यह प्रतिमा अभी यहाँ विराजमान है। अव सुमेरु शिखर के स्थान में चौमुखजी हैं और उस पर शिखर है मन्दिरों में गिरनार, पावापुरी, तारंगा के रंगीन चित्र आलेखित हैं।
अमीझरा तीर्थ- अमीझरा ग्वालियर राज्य का एक जिला है। इसका नाम कुन्दनपुर था यहाँ से कृष्ण ने रूक्मिणी का हरण किया था। यहाँ अमका झमका देवी का स्थान है। यहाँ के जिनमन्दिर में पार्श्वनाथ की चमत्कारी मृत्ति है जिसमें से एक बार तीन दिन तक अमृत झरता रहा अतः यह अभी भरा के नाम से प्रसिद्ध है । इस चमत्कार के कारण इस नगर का नाम ही अमीझरा पड़ गया है।
कुण्डलपुर-दमोह स्टेशन से १४ मील पहाड़ी पर भ० पार्श्वनाथ .. और.भ० महावीर के मुख्य मन्दिर दर्शनीय हैं। यहां ५२ जैन मंदिर हैं। यहां महावीर स्वामी की मूर्ति १२ फीट ऊंची है। यह मध्यप्रांत में हैं। । नीमाड प्रांत में बड़वानी, (चूलगिरी पर वावन राजाजी) बुरहानपुर, खरगोन, सिंगाण, कुक्षी, बाग पांच पाण्डवों की गुफायें श्रादि दर्शनीय है । इस प्रांत में इस समय कुल १७ जैनमंदिर हैं। बुरहानपुर में सं० १६५३ के पहले लगभग ३०० घर जैनियों के थे । १८ जिनमंदिर थे। मनमोहन पार्श्वनाथ जी का भव्य मंदिर था । १६५३ में बुरहानपुर में भयंकर आग लगी उसमें यह मंदिर जलकर भस्म हो गये। अभी यहाँ एक भव्य जिनमंदिर है। रालपताना के अन्य कतिपय दर्शनीय जैनस्थानः .. अजमेर ग्ब० सेट मूलचन्दजी सोनी द्वारा निर्मापित सुन्दर कलात्मक भव्य मंदिर नशियां जी दर्शनीय है । लाखनकोठरी में संभवनाथजी का बड़ा मंदिर है। गोडी पार्श्वनाथ का भी मंदिर है। यहाँ का प्रसिद्ध ढाई दिन का मोपड़ा एक प्राचीन जैनमंदिर है । इसकी कोरणी जैन मंदिर से मिलती-जुलती .. है । मुसलमानी काल में यह मस्जिद बना लिया गया है । यहाँ के म्युजियम में वान्ती ग्राम से मिला हुप्रा वीर सं० २ का सबसे अधिक प्राचीन . शिग्वालेख है। केशरगंज में पल्लीवाल बन्धुओं ने अभी एक मंदिर बनवाया है।
जितमंदिर है।