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E जैन-गौरव स्मृतियाँ
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गया था, उसका प्रसिद्ध दानवीर सेठ श्री थीहरुशाह ने पुनः निर्माण करवाया। यह मंदिर अत्यन्त भव्य और उच्च श्रेणी की कला का नमूना है। इस मंदिर में एक शिलालेख में महावीर स्वामी से लेकर देवर्षि गणि-क्षमाश्रमण तक के आचार्यों के उनके चरणसहित नाम खुदे हुए हैं । यहाँ पार्श्वनाथजी की मृति हजार फण वाली है। अमरसागर का मंदिर- . . .
अमरसागर जैसलमेर से पाँच मील की दूरी पर है । यहाँ तीन ___ मन्दिर हैं। इनमें से दो बाफणा वशीय सेठों के बनवाये हुए हैं।
मेवाड़ के जैनतीर्थ मेवाड़ में जैनियों का आरम्भ से प्रभुत्त्व रहा है। यहाँ के राजवंश के साथ जैनों का घनिष्ट सम्बन्ध रहा है । मेवाड़ राज्य के मंत्री प्रायः प्रारम्भ से जैन ही रहे हैं । मेवाड़ के शिशोदिया राजाओं का यह नियम है कि जहाँ जहाँ किला बनाया जाये वहाँ पहले ऋपभदेवी मंदिर अवश्य वनावाया. जाय । इस नियम का पालन सर्वन हुआ है । अतः मेवाड़ में अनेक विशाल मन्दिर और तीर्थ है मेवाड़ के मुख्य तीर्थ इस प्रकार है:- .
केशरियाजी__.. मेवाड़ में यह सबसे अधिक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। उदयपुर से लगभग ४० मील दूर धुलेवा गाँव में आया हुआ है। यहाँ केशरियानाथजी का मंदिर है । मूलनायक अपभदेव जी की मूर्ति है परन्तु केशर बहुत अधिक चढ़ाये जाने के कारण यह केशरिचाजी के नाम से दर २ तक प्रसिद्ध हैं। इस मूर्ति का पौराणिक इतिहास अत्यन्त प्राचीन है परन्तु धुलेवा के जंगल में से इसकी अभिव्यक्ति लगभग एक हजार वर्ष पहले हुई है। जिस समय सूर्यवंशी राणा मोकलजी चित्तौड़ की गादी पर थे उस समय केसरियाजी तीर्थ स्थापित हुया ऐसा कहा जाता है । सं १४३१ में इस मंदिर का जीर्णो..
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