________________
जैन - गौरव - स्मृतिया
X
में अनेक शिलालेख है । उनमें से अधिकतर बाद में करायेगये जीर्णोद्वार और प्रतिष्ठा का इतिहास प्रकट करते हैं । यहाँ ३५ उस पर 'श्री अजारा पार्श्वनाथ जी सं० २०१४ शा० हुआ है । इस ग्राम के बाहर एक विशेष प्रकार की रोगों की शान्ति के लिए उपयोग में लाई जाती है। धाम है । अजारा की पञ्चतीर्थी में उना, अजारा, कोडीनार ये पाँच स्थान गिने जाते हैं ।
पौण्डवजन का घंटा है रायचन्द्र जेचंद खुदा वनस्पति है जो अनेक यह तीर्थ परमशान्ति देलवाड़ा, दीव और
..
उना में एक साथ पाँच मव्य मन्दिर हैं । यहाँ जगद्गुरु श्री हीरविजयसूरि का स्वर्गवास हुआ था । जहाँ इन आचार्य श्री का दाह संस्कार हुआ वह ८० बीघा का टुकड़ा वादशाह अकवर ने जैनसंघ को भेंटस्वरूप दिया था। यह शाही बाग कहा जाता है। देलवाड़ा में चिन्तामणि पार्श्वनाथ मन्दिर हैं । यहाँ कपोलों की वस्ती अधिक है। दोसौ-दाईसौ वर्ष पहले कपोल जाति जैनधर्म का पालन करती थी । कपोलों का बनाया हुआ यह मन्दिर है । दीव बन्दर में नवलखा पार्श्वनाथ जी का मन्दिर है । कोडीनार में नेमिनाथ भगवान का मन्दिर था । यहाँ की जैनमूर्तियों के लेख भावनगर स्टेट की तरफ से प्रकाशित लेखसंग्रह में प्रकट हुए हैं। अभी यह तीर्थ विच्छदेप्रायः है |
प्रभास पाटन:
11. वेरावल से तीन मील दूर प्रभासपाटन नामक प्राचीन नगर है । यहाँ च्यादिनाथ, अजितनाथ, चन्द्रप्रभ, सुविधिनाथ, शान्तिनाथ, मल्लिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ और महावीरस्वामी के नौ भव्य प्राचीन मन्दिर हैं । यहाँ एक विशाल जैनमन्दिर को मुसलमानी काल में तोड़ कर मस्जिद के रूप में दे दिया गया है। उस मस्जिद में जैनमन्दिर के चिन्ह विद्यमान हैं ।
वरेचा पार्श्वनाथ:---
गांगरोल से पोरबन्दर की मोटर सड़क पर यह गाँव है । यहाँ पार्श्व - नाथ की बालुकामय प्रतिमा है। कहा जाता है कि यह अरब समुद्र से निकली
चमत्कारी प्रतिमा है ।
POOOO (8)2600670600600