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★ जैन-गौरव स्मृतियां.kaise
सं० १६३५ में जब दुष्काल पड़ा तब भी मंत्रीश्वर ने पूरे वर्ष तक संकड़ों कुटुम्बों का भरण-पोषण किया ।
महाराव हिन्दूमलजी वैदः
___ महाराव हिन्दूमलजी वैद एक महान् दूरदर्शी और प्रतिभा सम्पन्न वीर पुरुष हुए । सं० १८८४ में आप बीकानेर के वकील की हैसियत से दिल्ली भेजे गये । वहाँ आपने बड़ी बुद्धिमानी से बीकानेर के हितों की रक्षा की। जिससे प्रसन्न हो तत्कालीन नरेश रत्नसिंहजी ने आपको अपना दीवान बनाया और आपकी वंशपरम्परा को महाराव की उपाधि दी । श्री हिन्दुमल जी ने बीकानेर पर भारत सरकार द्वारा लिया जाने वाला २२ हजार रूपया सालाना का फौजी खर्च समाप्त कराया । बीकानेर और भावलपुर के बीच सरहद सम्बन्धी झगड़ों में भी आपकी बुद्धिमानी से बीकानेर को बड़ी अच्छी जमीनें हाथ लगी । इस तरह आपने कई ऐसे कार्य किये हैं जिनसे बीकानेर राज्य का बहुत हित हुआ है।
आपके भाई मेहता छोगमलजी और पुत्र महाराव हरिसिंहजा भी बड़े प्रभावशाली मुत्सद्दी रहे । बीकानेर नरेशों ने इस परिवार को समय २ पर जो रुक्के भेंट किये हैं उनसे इस परिवार के प्रति राज्य की अपार श्रद्धा प्रकट होती है। दीवान अमरचन्द जी सुराणाः -
. दीवान अमरचन्दजी सुराणा का भी महत्त्वपूर्ण स्थान है । ई० सन् १८०५ में भटनेर के हाकीम जापात खाँ के उपद्रवों को शान्त करने के लिए अमरचन्द जी को भेजा गया । पाँच मास की अनवरत लड़ाई के बाद आपने भटनेर को अपने कब्जे में किया । इस बहादुरी से प्रसन्न होकर महाराजा ने आपको दीवान बनाया। इसी तरह सं० १८७२ में चुरु के ठाकुर के उपद्रवों को शान्त करने में भी आपने बड़ा कौशल दिखाया।...
इस तरह बीकानेर के इतिहास में बच्छावत वैद-और सुराणा परिवार की गौरव गाथाएँ गुथित हैं।