________________
S
e* जैगगौरव-स्मृतियाँ *SSS
इस दुःखान्त परिणाम के बावजूद भी महाराजा चेटक और उनके णिराज्य की कीर्ति न्याय के रक्षण के लिए किये गये बलिदानों के कारण तिहास में अमर रहेगी । महाराजा चेटक और उनका गणराज्य भारतीय तिहास का सुनहरा पृष्ठ है। :: :.:...:.:..::.
., ईसा पूर्वकी छठी शताब्दी के राजनैतिक भारत में मगध राज्य का बहुत धिक प्रभाव था। मगध के शासक ही उस समय सर्वोपरि शक्तिसम्पन्न समझे
. : - जाते थे। एक तरह से वे ही भारत के भाग्य विधाता थे। गध के जैन सम्राट उस समय मगध में शिशुनाग वंश के राजाओं का. राज्य । विम्बिसारः था। इनकी राजधानी राजगृह थी । मगध का सर्वप्रथम
.:: : सम्राट बिम्बिसार, अपर नाम श्रेणिक हुआ। मगध साम्राज्य की नींव:को सुदृढ़ वना देने में सम्राट् श्रेणिक के व्यक्तित्व की महता । उनके ही प्रयत्नों और पुरूषार्थ से.मगध का साम्राज्यं भारत का मुकुट न गयाः। सिकन्दर महान् ने जब ३०२ ई. पूर्व भारत पर आक्रमण किया. ब उसे विदित हुआ कि मगधराज ही महाप्रबल भारतीय राजा है। मगध को इतना शक्तिशाली बनाने का श्रेयं महाराजा श्रेणिक को ही है। सुप्रसिद्ध . तिहास-वेत्ता मि विन्सेण्ट स्मिथ ने अपनी.,OX FOD HISTORY OF . NDIA ( आक्सफर्ड हिस्ट्री आफ इन्डिया) में लिखाहै :
The first great kiog of this tiine'ıras bimbi sıra or JRENIKA. He was probablya Jain.": : : .
अर्थात् उस समय का सर्वप्रथम महान् राजा विम्बिसार अथवा श्रेणिक | वह बहुत सम्भवतः जैन. था। ..... .... ...... " श्रेणिक अपने प्रारम्भिक जीवन में बौद्ध थे परन्त महाराजा चेटक की की पुत्री चेलना के प्रभाव से वह जैन होगये थे। यह चेलना श्रेणिकं की हिरानी थी। महाराजा श्रेणिक भगवान महावीर के परम उपासक बन गये .। भगवान् महावीर के दर्शन के लिए वे अपनी राजकीय समृद्धि के साथ जाया करते थे। भगवान महावीर से उन्होंने कई प्रश्नोत्तर किये थे और ज्ञायिक सम्यग्दृष्टि बन गये थे। उन्होंने अपने राज्य में कई बार अमारिगोषणा करवाकर प्राणिमात्र को अभयदान दिया था।
.
:
.....:
AVIVIWWWINN IANSHA.AANTERYONEY
AY