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* जैन-गौरव-स्मृतियां RSS
की स्वं कार नहीं
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नादि काल सेनाए ईश्वर ही है
इस प्रकार के किसी एक अद्वितीय ईश्वर की स्वतंत्र सत्ता को स्त्र कार नहीं करते हैं । उनके मत से सब मुक्तात्माएँ ईश्वर ही हैं। जैनदर्शन यह स्पष्ट कहता है कि अनादि काल से कर्म के बन्धन से जीव अल्पज्ञ हो रहा है। ज्ञानावरणीय कर्म के कारण उसका ज्ञान आवृत है। इस बावरणके दूर होते ही जीव अनन्तज्ञान का अधिकारी होता है-सर्वज्ञ बनता है। कर्स बन्धन के कारण ही जीव अल्पज्ञ है। इस बन्धन के हटते ही जीव अपनी स्वाभाविक ज्ञानदशा को प्राप्तकर लेता है। तात्पर्य यह है कि जीवों का बन्धन और जीवों का मर्यादित ज्ञान यह सिद्ध करता है कि कर्मों से सर्वथा मुक्ति और सर्वज्ञता सम्भवित है। प्रत्येक जीवात्मा मुक्त हो सकता है और सर्वज्ञसवदर्शी बन सकता है । आत्मा परमात्मा-परमेश्वर बन सकता है।
मीमांसक दर्शन सर्वज्ञता को असम्भवित मानता है। उसके मत से सवज्ञ कोई हो ही नहीं सकता। वह कहता है कि प्रत्यक्ष, अनुमान, आगम; उपमान और अर्थापत्ति रूप प्रमाण पञ्चक से सर्वज्ञ का अस्तित्व सिद्ध नहीं होता। प्रत्यक्ष तो इन्द्रिय गोचर वस्तुओं को ही बता सकता है अतीन्द्रिय को नहीं । प्रत्यक्ष से कोई सर्वज्ञ दिखाई नहीं देता। कोई ऐसा अविनाभावी चिन्द नहीं जिससे सर्वज्ञ का अनुमान किया जाय । अपौरुषेय आगम के सिवाय सब आगम अप्रमाण हैं अतः उनसे सर्वज्ञ की सिद्धि हो नहीं सकती। वेद रूप अपौरूपेय आगम से सर्वज्ञता सिद्ध नहीं होती है । सर्वज्ञ-जैसी दूसरी कोई वस्तु दृष्टिगोचर नहीं होती जिससे उपमान द्वारा सर्वज्ञ-सिद्धि हो सके। सर्वज्ञ का अस्वीकार करने से किसी ज्ञात पदार्थ का अस्वीकार करना नहीं पड़ता अतः अर्थापत्ति से भी सर्वज्ञता सिद्ध नहीं हो सकती। अतः कोई सर्वज्ञ नहीं हो सकता है । यह मीमांसक दर्शन का मन्तव्य है । वह यह भी कहता है कि सर्वज्ञता का अर्थ क्या है ? यदि सब पदार्थो का जानना सर्वज्ञता है तो यह कैसे बन सकता है ? सर्वज्ञ सब पदार्थो को क्रम से जानता है या युगपत् जानता है ? यदि क्रम से जानता है यह पक्ष स्वीकार किया जाय तब तो भूतकाल, भविष्यकाल और वर्तमान काल के पदार्थ इतने हैं कि क्रमशः सब को जानना असम्भव है। एक एक को जानते हुए तो थोडे ही पदार्थ जाने जा सकते है और बहुत से वैसे ही रह जाते हैं । यदि कहो कि एक साथ सवको जान लेता है तो शीत उष्ण आदि परस्पर विरोधी पदार्थों का एक ही पण में ज्ञान कैसे हो सकता है ? इसलिए सर्वज्ञता असम्भावित है। .