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★ जैन - गौरव स्मृतियाँ *
प्रास्ताविक
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जैन तत्त्वज्ञान
भारतीय दर्शनों में जैन दर्शन का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है । वह दर्शन परम उच्चकोटि का और सर्वाग सम्पन्न है । इसमें गंभीर तत्त्र-चिंतन है, अध्यात्मका सुन्दर निरूपण है, विश्वविद्या की विस्तृत विचारण है और आत्मा परमात्मा की तर्क-संगत मीमांसा है। इसमें न्याय विद्या और तर्क-विद्या का पर्याप्त विकास हुआ है तत्वज्ञान के सब अंगों का जितना व्यवस्थित विवेचन इस दर्शन मिलता है उतना अन्यत्र नहीं | इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है किप्राचीन युग के तत्व चिन्तन का यदि कोई परिपक्व अमूल्य फल है तो वह जैन दर्शन है। जैन तत्वज्ञान इतना गहन, तलस्पर्शी और वैज्ञानिक है कि कोई भी निष्पक्ष विचारक उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता है। जिन जिन विद्वानों ने पूर्वग्रह रहित होकर इसका अध्ययन किया है वे इसकी यथार्थ विचार-शक्ति की मुक्तकंठ से प्रशंसा करते हैं ।
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