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दशवैकालिक सूत्र
जगह कितनी पोली अथवा गहरी है उसकी खबर न पडने से वहां संयम के भंग होजाने का डर है
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टिप्पणी-डगमगाती हुई वस्तु पर पग रखने से यदि गिर पड़ें तो शरीर को चोट लगने की और पोली जगहनें रहनेवाले जीवो की हिंसा होने की संभावना है इस लिये डगनगाती हुई वस्तु पर होकर जाने का निषेध किया है 1
[६७] यदि कोई दाता, साधु के निमित्त किसी
पदार्थ को सीटी, तख्ता या बाजो० लगाकर अथवा जीना अथवा मजले पर चढकर ऊपर से लाई हुई किसी वस्तु का दान करे ।
[ ६८ ] तो मजले पर चढते हुए कदाचित वह दाता बाई गिर पडे और उसके हाथ पैरों में चोट श्रा जाय तथा उसके पडने से वहां के पृथ्वीकायिक तथा अन्य जीवों की विराधना हो ।
[ ६६ ] इस लिये इन महादोषों की संभावना को जानकर संयमी महर्षी मजले पर से. लाई हुई भिक्षा को ग्रहण नहीं करते हैं । [७०] सुरण आदि कंद्र पिंडालु ( शलजम) आदि की गांठ, ताडफल, पत्तों का शाक, तुमडी तथा अदरख ये वस्तुएं कच्ची हों अथवा कटी या बंटी हो ( परंतु उन्हें अग्नि का संसर्ग न मिला हो) तो भिक्षु इनका ग्रहण न करे ।
टिप्पणी- कच्ची और कटी बंटी हुई उक्त वस्तुओंमें जीव रहता है इस लिये भिक्षु उनका त्याग कर दे ।
[ ७१४७२] जौ का चूर्ण (सतुया) बेर का चूर्ण, पूए अथवा ऐसे ही दूसरे पदार्थ, जो दुकान वे बहुत दिनों के हों अथवा सचित्त रज से वस्तुओं का दान करनेवाली बाई से मुनि लिये ग्राह्य नहीं हैं ।
तिलसंकरी, गुड, पर विकते हों,
युक्त हों तो इन कहे कि ये मेरे