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________________ मद्रास प्रान्त । मद्रासमें दस्तकारीका स्कूल, तोपोंका कारखाना, पीपल्स पार्क, विक्टोरिया मेमोरियल हॉल, हाईकोर्ट और आकाश लोचन, कई गिर्जाघर, टकसाल, दीपकगृह, और कालेज देखनेके लायक हैं। यहांपर जैनियोंके ११७ घर हैं जिनमें ११ घर दिगम्बर आम्नायके और शेष श्वेताम्बरियोंके हैं। दिगम्बरियोंका एक मन्दिर है । श्वेताम्बरियोंका एक सुन्दर मंदिर अतिउत्तंग देखने के योग्य है। कहते हैं कि पूर्वकालमें मदरासके चारों ओर जैनियोंकी वस्ती थी और 'मैलापुर' 'पुझहल' 'मायावरम् 'पोनेरी' 'सेम्बाकम्' 'अरुनगुरम्' आदि ग्रामोंके शिलालेखोंसे भी यह वात सिद्ध होती है। प्राचीन कालमें मैलापुर जैनियोंका ही ग्राम था और वहां उनके एक बड़े मंदिरमें श्रीनेमिनाथस्वामीकी प्रतिमा विराजमान थी। एक बार एक जैनीको स्वप्न हुआ कि मैलापुर ग्राम समुद्र में डूबनेको है; इसलिये मूर्तिको मंदिरसे उठाकर लेजाओ, तब वह आश्चयोन्वित होगया और प्रातःकाल ही मूर्तिको चित्ताम्बुर' को लेगया। चित्ताम्बुरसे प्रतिमा हिल न सकी इसलिये वहीं मन्दिर बनवाया और प्रतिमाकी बड़े समारोहसे स्थापना की। इनमेंसे मैलापूर समुद्र में डूब जानेके कुछ दिन पीछे प्राचीन मैलापुरक पास नया और नगर वसाया । यहां मन्दिरमें नेमिनाथस्वामीकी प्रतिमा अति उत्तंग कायोत्सर्ग विराजमान है। 'पोनेरी' ग्राममें सिर्फ पुजारीका एक घर है । एक पर्णकुटिकामें श्रीवर्धमानस्वामीकी प्रतिमा काले पत्थरकी कायोत्सर्ग. जमीनके नीचे मिली हुई विराजमान है। मद्राससे १० मीलकी दूरीपर श्रीक्षेत्र ‘पुझुल मायावरम् ' है, यहांके मन्दिर अति उत्तंग देखने योग्य हैं। . मद्रासके अजायबघरमें बहुत छोटी बड़ी धातुकी और पत्थरकी मूर्तियां पाई जाती हैं। जिनमें १५ मूर्तियां करीब ५ फीट ऊंची पद्मासनस्थ है । और विक्टोरिया पब्लिक हॉलमें काले पाषाणकी श्री 'गोमटस्वामीकी प्रतिमा कायोत्सर्ग अत्युत्तम देखने योग्य है। यहां मद्रास रेलवे और साउथ इंडियन रेलवेके छै छै स्टेशन हैं । मद्रासके सब स्टेशनोंपर घोड़ागाड़ी किरायेपर हमेशा मिलती है। मदुरा। मद्रास हातेम पांडय मण्डलके अन्तर्गत वैगानदीके दक्षिण किनारेपर साऊथ इंडियन रेल्वेका स्टेशन व जिलेका सदरस्थान मदुरा है । बैगानदीके पास लालक्षत्रम नामक धर्मशाला है । इसका नाम संस्कृत पुस्तकमें मधुरा लिखा हुआ है । १०९-११० -
SR No.010495
Book TitleBharatvarshiya Jain Digambar Directory
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakurdas Bhagavandas Johari
PublisherThakurdas Bhagavandas Johari
Publication Year1914
Total Pages446
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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