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________________ ८६२ मद्रास प्रान्त । मछलीपट्टम। समुद्रके किनारेपर मद्रास हातेके तैलङ्ग देशके कृष्णा जिलेमें प्रधान कस्बा प्रधान बन्दरस्थान जिलेका सदरस्थान, मछलीपट्टम हैं। सन् ई० से पहले कृष्णा नदीके किनारोंपर बौद्ध लोग बसते थे। तीसरी सदी में बाहर णमतके लोग आये । सातवीं सदीमें कल्यानपुरके चालुक्यवंशके राजाने बेंजीके राजाको जीता। चालुक्य राजाओंके बाद दक्षिणसे चोलवंशके राजा आये इसके बाद धरनीकोडाके जैन राजाने कृष्णा जिलेका राज्य किया, इसके बाद रेठीवंशके राजाओंने राज्य किया, उड़ीसाके गजपति राजा और बादमें विजयनगरके राजाने राज्य किया, सन् १५८० ई० में यह राज्य मुसलमानोंके हाथमें चला गया, सन् १८२३ ई० में कृष्णाका सम्पूर्ण राज्य, अंगरेजोंके अधिकारमें हो गया। मछलीपट्टममें छींट, नास, और हुलासका बड़ा व्यापार होता है, कपड़े बुननेवाले और छापने वाले बहुत लोग हैं, किन्तु कलकारखानेसे उनका काम घटता जाता है, अब तक यहांकी छींट दूसरे देशोंको भेजी जाती हैं। जज और कलेक्टरका आफिस, सरकारी कचहरियां, अस्पताल, स्कूल, और वन्दर आदि स्थान देखने योग्य है। __ यहांकी मनुष्यसंख्या अनुमान ३९ हजार है जैनी सिर्फ २ हैं क्रिश्चियन (पादड़ी) बहुत लोग होते जाते हैं । सन् १८६४ ई० में समुद्रकी तूफानकी लहरसे ३० हजार प्राणी मर गये थे। . . . मद्रास। . . मद्रास अहातेभर में सदर मुकाम और हिन्दुस्थानमें तीसरे नम्बरका शहर है । इस जगह हाईकोर्ट और बहुतसे सिविल और फौजी महकमे है। आबहवा भी अच्छी है । — मद्रास वाणिज्य व्यापारके लिये उपयुक्त स्थानमें नहीं बसा है, क्योंकि प्रथम तो जहाज समुद्रके किनारे तक नहीं पहुंच सकते, और दूसरे लहरोंके कारण किनारे पर मालका उतरना बहुत कठिन पड़ता है। पहिले ही पहिल अंग्रेजलोग 'आमैगन' में ठहरे थे, परन्तु सन् १६३९ ई० में थोड़ीसी धरती मिलने पर इन्होंने सेन्टजार्ज किला बनाया और वहीं जा बसे । मद्रासी लोग इसे 'चेन्नापटनम' कहते हैं । 'आमॅगन' अथवा 'दुर्गारजपतनम' मद्राससे ३६ मील उत्तरमें 'पल्लीकाट' झीलपर बसा है। और इस किनारेपर यही प्रथम स्थान है, जहां अंग्रेज लोग सन् १५२५ ई० में आ बसे थे।
SR No.010495
Book TitleBharatvarshiya Jain Digambar Directory
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakurdas Bhagavandas Johari
PublisherThakurdas Bhagavandas Johari
Publication Year1914
Total Pages446
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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