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मद्रास प्रान्त ।
८६१ ३०० गज दक्षिण मिलरका तालाब और इस तालावसे १ मील पूर्व हलसुर तालाव है। किला पेठासे दक्षिण अण्डाकार शकलमें वंयलोरका किला है, किलेमें तोपखाना है और टीपू सुल्तान के महलके निशानात कुछ २ देखनेमें आते हैं।
लालबाग-किलेसे लगभग एक मील पूर्व मैसूरक हैदरअलीके समयका लालवाग नामक मनोरम उद्यान हैं, बागमें देश देशके वृक्ष लगे हुये हैं, और कई वनेले जानवर भी हैं । यहां समय समयपर फूलोंकी नुमायश होती है ।
अजायवघर-पेठसे एक मीलकी अधिक दूरीपर बंगलोरका अजायब घर है इसकी देवढ़ीमें सुन्दर 'जैनप्रतिमा' है । नीचेके बड़े कमरेमें खास खास चीजोके नमूने
और ऊपरके मंजिल में भांति भांतिक मृतक जानवर और अनेक प्रकारके देशी भूषण योशाक इत्यादि वस्तुएं रक्खी है।
वंगलोर स्वास्थ्यप्रद स्थान और मैसूर राज्यका प्रधान व्यापारी शहर है, यहांका रेशम बहुत मजबूत और सुन्दरहोता है। यहां रेशमी किनारोंके साथ सूतके सुन्दर कपड़े बहुत बनते हैं । गलीचे दस्तकारी के लिये बंगलोर शहर प्रसिद्ध है, यहांके जेलखानेमें पर्सियन और तुर्की चालके गलीचे बहुत बनते हैं, सोने चांदीके लैस गहनें वगैरः भी अच्छे बनते हैं, पेठ अर्थात् पुरानी वस्तीमें गल्ला और रुईकी सौदागिरी अधिक होती है।
मङ्गलूर। मद्रास हातेके दक्षिण कनैड़ा जिलेमें जिलेका सदर स्थान व जिलेमें प्रधान' कस्वा मग लूर है । कनूरसे मङ्गलूर होकर आगबोट जाती है। _मंगलूर कसवेके दक्षिण पूर्व मंगलादेवीका मन्दिर है, शायद इसी देवीके नामसे, मंगलूर नाम पड़ा हो । करवा उन्नतिपर है, नारियल तथा ताड़के कुंजोंमें कसबा बसा है, कसबेके पास नेत्रवती और गुरुपुर नदीके गुहानेसे बनी एक झील है। __ मंगलूरमें समुद्र द्वारा बड़ा व्यापार होताहै; मिर्च, अदरक, दालचीनी, नारियल, सुपारी बहुत पैदा होती है, यहांसे कुर्ग और मैसूरकी काफी दूसरे स्थानोंमें भेजी जाती है, लोग मसाला रेशम, कपड़ा सोना चांदी इत्यादि चीजें दूसरे स्थानोंसे आती हैं । और प्रायः इनही चीजोंका अधिक व्यापार होता है।
जर्मनमिशन-जिसमें छापने, जिल्द बांधने, कपड़ावनाने, आदि लकड़ीकी चीजें बनानेका काम सिखाया जाता है, मद्रास यूनीवर्सिटीके २ कालेज, कचहरियां, कष्टमहौस गिरजा देखने योग्य है।
मंगलूरकी मनुष्यसंख्या अनुमान ४१ हजारहै, दि० जैनियोंके रघरोंकी मनुष्य संख्या ४ है। और मंगलूरके पास कादिरी पहाड़पर एक प्राचीन जैनमन्दिर है।
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