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मद्रास प्रान्त । यगी । स्वमके होने बाद जागकर मुनिमहाराजने दोनों शिकारियोंको कुछ मिट्टी देकर राजाके पास भेज दिया और राजाको सन्देशा भेजा कि यह मिठी लड़कीके शरीरमें लगा नेसे सब पिशाच बाधा (भूतलीला) दूर हो जायगी । बह बात सुनकर राजानें मिट्टीको • सादर लेकर उस लड़कीके शरीरमें लगा दी तब वह बदमाश भूत वहांसे निकलकर मुनि जीकी शरणमें आया। मुनिने उसको द्वारपालका काम दिया और उसको ठहरनेके लिये एक झाड़के नीचे जगह दी। ' पंडाई नगरका राजा पोशाक पहिन कई आदमियोंको साथ लेकर मुनिजीके पास इस जंगलमें नम्रभावसे शरणमें आया । तब मुनिमहाराजने राजाको प्रसन्न आते देखकर मन्दिर बनानेके लिये कहा राजाने उसी समय यहां पत्थर, चूना आदि सामग्री भेजकर ८ दिनके अन्दर मन्दिर बनवाया, और मुनिजीसे प्रतिमाकी प्रतिष्ठा कराई तत्पश्चात -मुनिमहाराजने प्रायश्चित्त लेकर आहार गृहण किया। इसके कारण यह अतिशयक्षेत्र हुआ परन्तु अप्रसिद्ध होनेसे और मन्दिरोंकी मरम्मत न होनेसे मन्दिरजी गिरने लगे हैं।
पेराबूर। पेरावूर सबसे बड़ा जैनियोंका ग्राम (S. I. R.) लैनमें, तिण्डिवनम्से करीव १५ मीलकी दूरीपर है। स्टेशनसे सवारी हरवक्त मिलती है । १० मीलके करीब रास्ता अच्छा बना है इसके बाद ५ मील जङ्गलमेंसे जाना पड़ता है । अनुमानसे मालूम होता है कि प्राचीन कालमें इसके चारों ओर जैनियोंकी ही बस्ती थी, कारण इस प्रान्तके चारों तरफ निरपुसी अबतक पाये जाते हैं, सब पहिले प्रायः जैनी ही थे इन्हें यहांके राजाके अन्यायसे शैव होनापड़ा परन्तु वे इस समय भी जैनधर्ममें विशेष प्रीति रखते हैं।
इस समय यहांपर ४७ गृह दिगम्बर जैनियोंके हैं, जिनकी मनुष्य संख्या १६५ है। एक मन्दिर शिखरबन्द है जिसमें मूलनायक श्रीपार्श्वनाथस्वामीकी श्यामवर्ण पाषाणकी कायोत्सर्ग प्रतिमा करीब ६ फीट ऊंची विराजमान है और ५-६ प्रतिमायें और भी धातुकी छोटी २ हैं । पूजन प्रक्षाल एक बढ़िआर (जैन ब्राह्मण) करता है।
यहांसे करीब १० मील पूर्वमें एक और बड़ा जैनियोंका 'वेल्लूर' नामका. ग्राम है। वहां दिगम्बर जैनियोंके गृह ५५ और मनुष्य संख्या १८४ है । यहांपर श्रीवीरसेनाचार्यजी मोक्ष पधारे हैं। कहते हैं कि उन्होंने यहांके मन्दिरमें जो श्रीपार्श्वनाथस्वामी २३ वें तीर्थकरकी प्रतिमा विराजमान है श्रवणबेलगोला क्षेत्रसे लाकर प्रतिष्ठा कराई और जैनधर्मकी रक्षा की थी मन्दिरमें धर्मशास्त्र करीब ४० हैं। पूजन प्रक्षाल का प्रबन्ध एक बढ़ियार ( जैन उपाध्या) के हाथमें है। - यहांकी और पेराबुरकी आब हवा कुछ गरम है । व्यापार नारियल सुपारी आदिका अधिक होता है।