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मद्रास प्रान्त।
कुम्भकोनम् । - ‘मद्रास अहातेके 'तंजोर' जिलेमें यह शहर 'कावेरी और अरासलर' नदीके संगम (दो नदियोंके मिलनेके स्थानको संगम कहते हैं) पर हिंदुओंका पवित्र क्षेत्र है पूर्वकाल में यहां 'चोल' राज्यकी राजधानी थी और विद्याके लिये प्रसिद्ध था, अब भी प्रसिद्ध है। यहां हिन्दुओंके मन्दिर बड़े बड़े, सुन्दर देखने योग्य है। कहते हैं कि यहां बारहवें साल गंगाजीका पानी तालमें आजाता है, और उस मौकेपर अगणित नरनारी इसमें, स्नान करते हैं। __ यहां दिगम्बर जैनियोंके १२ गृह व मनुष्य संख्या ७५ है, परन्तु पाठशाला, मन्दिर धर्मशाला आदि कुछ नहीं हैं । कहते हैं यहांपर जो जैनी रहते हैं वे करीब दोसौ वर्ष पहिले व्यापारके लिये कर्नाटकसे आये थे। यहां दो स्वेताम्बरियोंके भी घर हैं जो. बंगरी और ताम्बे पीतलके बर्तनोंका व्यापार करते हैं।
कुम्भकोनम् जंकशनपर सवारी किरायेपर हमेशा मिलती है । कुम्भकोनम्में अन्यमतियोंकी कई धर्मशालायें हैं जिनमें दो या तीन दिन लोग बिना किराये ठहर सकते हैं।
यहां देखने योग्य चीजें टौन हॉल, सर्कारी कॉलेज और हाई स्कूल है।
कोचीन। मद्रास हातेके कोचीन राज्यके सब डिवीजनमें कोचीन एक कस्बा है, इसमें ४ गांव शामिल हैं। कोचीनसे २ मीलपूर्व ‘एरना कोलम' कस्बेमें कोचीन नरेश रहते हैं । वर्तमान कोचीन नरेश राजा 'सर वीरकेरल के० सी० आई० ई०' · गद्दीपर विराजमान हैं । आप जातिके क्षत्रिय हैं । महाराज न्याय शास्त्रके अच्छे पण्डित हैं व शास्त्रार्थका बड़ा शौकहै । महाराजकी ओरसे संस्कृत ग्रन्थमाला निकलती है, इसके द्वारा कई प्राचीन अलभ्य महत्त्वपूर्ण ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं । स्वयं महाराजने भी दो तीन ग्रंथोंकी रचनाकी है। : कोचीन राज्यके जङ्गलोंमें बेशकीमती लकड़ी, दवा रंग, गोंद, इलायची बहुत पैदा होती है और इनही चीजोंका व्यापार प्रायः अधिक होता है।
- कोचीनके राज्यमें प्रधान महाराजका महल, आफिस व हाईस्कूल, कचहरियां, २ गिर्ज, सुन्दर इमारतें, और बाजार देखने योग्य हैं।