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बम्बई अहाता । शेठ 'चुन्नीलाल अंबूसा' धरणगांववालोंके प्रयत्लसे धरणगांवके मन्दिरमें विराजमान करदी हैं । शिलालेखका सारांश यह है:
“संवत १३९१ वैशाख मासे सोमवारे कुन्दकुन्दान्वये भट्टारक 'धर्मभूषण' तच्छिरूष्य 'रत्नकीर्ति' उपदेशात् बघेरवाल ज्ञाति 'क्षमंधर' सा भार्या 'पद्मिनी' और माता देमाई"।
एरंडोलमें रुई और रुईके बीज (विनोले) का व्यापार अधिक होता है ।
कचनेर ।
_ (अतिशयक्षेत्र) निजाम गोदावरी रेल्वेके, औरंगाबाद स्टेशनसे अनुमान २० मील, चिखलडानासे १६ मील और करयालसे १२ मील दक्षिणकी तरफ बहुत प्राचीन कचनेर नामका एक ग्राम है। यहां एक विशाल जैनमन्दिर है, जिसमें मूलनायक श्रीपार्श्वनाथस्वामीकी प्रतिमांवेदी पर अतिशय धारण करनेवाली विराजमान है । यह प्रतिमा किसी समय खण्डित होकर किसी दैव लीलासे जुड़ गई थी। प्रतिमाकी गर्दनमें खण्डित होनेका चिन्ह अब भी दिखलाई देता है। इसी अतिशय के कारण कचनेर अतिशयक्षेत्र प्रसिद्ध हो गया है । कार्तिक सुदी १५ से ३ दिन तक प्रतिवर्ष बड़ा भारी मेला भरता है । मन्दिरकी आमदनी प्रतिवर्ष करीव १०००) के हो जाती है । इस क्षेत्रका भण्डारखाता तथा प्रवन्ध "शेठ जसरूपजी लछीरामजी" औरंगाबाद निवासी के आधीन है । प्रवन्ध अच्छा है।
श्रीक्षेत्र (कुण्डल)। यह क्षेत्र सतारा जिलेकी औंध रियासतमें मद्रास सदर्न मरहठा रेलवेके कुण्डल स्टेशनसे करीब २ मील है । ग्राममें दिगम्बरियोंके गृह १० हैं, जिनकी मनुष्य संख्या ४५ है । और एक प्राचीन जिनमन्दिरमें श्रीपार्श्वनाथस्वामीकी वीतरागताको धारण करनेवाली प्रतिमा विराजमान है, मन्दिर मजबूत है, पूजन-प्रक्षालका इन्तजाम बहुत खराब है । ग्रामके पासके पहाड़पर दो मन्दिर अति उतंग श्रीगिरीपार्श्वनाथ और' झरपिार्श्वनाथ नामधारक विद्यमान है । और एक मन्दिर इराण्णा नामका इनके मध्यमें है।
(१) झरी पार्श्वनाथ-यह मन्दिर पहाड़की दक्षिण वाजूमें है इसमें श्रीपार्श्वनाथ स्वामीकी प्रतिमा पद्मासन विराजमान है । इसपर अधिक जलवृष्टि होती है, इसलिये इसका नाम झरी पार्श्वनाथ हो गया है । मुकाम मन्दिरमें एक छोटीसी जलसे भरी