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बम्बई, अहाता। (४) हाथीसिंहका श्वे जैनमन्दिर-दिल्ली फाटकसे लगभग ६०० गज उत्तर सड़कसे पूर्वकी ओर हाथीसिंहका वड़ा जैनमन्दिर है। यह मन्दिर सन् १८४८ में दसलाख रुपयेके खर्चसे तैयार हुआ था, मन्दिरमें रत्नजड़ित प्रतिमाएँ हैं । इस मन्दिरसे १ मील पूर्वोत्तर “दादा हरिका" प्रसिद्ध कुआ और इससे पूर्वोत्तर 'असरवा गांवमें 'भवानी' का सुन्दर कुआ है।
(५) नया इवे. जैनमन्दिर-शहरके भीतर सड़ककी वगलमें सुन्दर जैनमन्दिर है । मन्दिरकी बहुमूल्य रत्नजड़ित प्रतिमाएँ देखने योग्य हैं।।
(६) अहमदशाहका मकबरा-शहरके मध्यभागमें दरियापुर फाटक और कालूपुर फाटककी सड़कके मेलके पास अहमदावादको बसानेवाले, अहमदशाहका मकबरा है। इसका फर्श अनेक रंगके मालके टुकड़ोंसे बना हुआहै इसके आस पास और कई मकवरे हैं।
(७) जुमामसजिद-अहमदशाह-भकवरे से दक्षिण, मानिकचौंक के दक्षिणी वगलमें जुमामसजिद है, इसको सन् १४२४ ई० में अहमदशाहने वनवाई थी, खास मसजिदमें २६० जैन स्तम्भ लगे हैं।
(८) तीन दरवाजा-जुमामसजिदसे दक्षिणकी ओर खास सड़कपर अहमदशाहका बनवाया हुआ यह दरवाजा है, इसमें सुन्दर नक्काशीका काम बना हुआ हैं । इसीके पास दि० जैन बोर्डिंग हौस है।
(९) अहमदशाहकी मस्जिद-तीन दरवाजेसे दक्षिण-पश्चिम, यह मस्जिद है। जुमामस्जिदसे पहले अर्थात् १४१४ ई० में बनी थी।
(१०) रानी सिमीकी मसजिद-शहरके दक्षिणके टोरिया फाटकसे उत्तरकी और यह मसजिदहै, एक मकबरा भी है । इसके पास 'आसामील' जिसके कि नामसे पहिले अहमदावादका नाम असावल था, घेरा है। यहां पूर्व कालमें भीलराजाआसाका किला था।
(११) काकरिया झाल-शहरके दशिणके राजपुर फाटकसे पौन मील दक्षिण-पूर्व दर्शनीय यह झील है, इसको लोग हौजीकुतुव भी कहते हैं। इसको अहमदावादके सुल्तान कुतुबुद्दीनने सन् १४५१ ई० में बनवाई थी। इसके मध्यमें एक छोटा टापू और सुन्दर फुलवाड़ी है।
(१२) शाहआलम-कांकरिया झीलसे डेड़ मील दक्षिण-पश्चिम बतवारोडके पास, शाहआलम नामक प्रसिद्ध स्थान है यहांपर कई सुन्दर मकवरे मस्जिद और हौज हैं ।
(१३) सांभरमती नदी-इसका प्राचीन नाम 'साभ्रमती' है। इसको हिन्दुलोग बहुत पवित्र मानते हैं । इसके किनारे कई मन्दिर और घाट हैं।