________________
७३८
बम्बई अहाता।
अहमदाबाद। शहर अहमदाबाद अहाता बम्बईमें जिलेका सदर मुकाम और इलाकेमें सबसे अच्छा आबाद है। यहांपर बॉम्बे बरोदा रेल्वे, जी. आय. पी. राजपुताना-मालवा और अहमदाबाद-प्रांतीज रेल्वेका जंकशन है।
इसे गुजरातके राजा "अहमदशाह" (प्रथम) ने १४४२ ई० में, हिन्हओंके पुराने नगर "असावलके" पास बसाया, और बस्तीके चारों ओर शहरपनाह (कोट-पक्कीदीवार) बनवाई । इसके बाद मरहठोंके आधीन रहा । सन् १८०३ ई० में अहमदाबाद जिलेमें अंग्रेजोंका अधिकार हुआ। यहांपर अनेक पुरानी कारीगरीके मकान अब तक हैं। १६ वी व १७ वीं सदीमें अहमदाबाद भारतवर्षके प्रतापशाली शहरों में से था। कहते हैं कि उस समय ९ लाख मनुष्य संख्या थी।
यहांपर दिगम्बरजैनियोंके घर १५ और मनुष्यसंख्या ६० है। माणिकचौकमें मांडवी पोलके पास दो दिगम्बर जैन मन्दिरजी हैं जिसमें पूजन प्रक्षाल आदिका प्रबन्ध पञ्चोंकी तरफसे होता है। जैनजातिमें विद्या प्रचार करनेके हेतुसे तीन दरवाजोके पास "शेठ प्रेमचंद मोतीचंद वोडौंग" नामक स्कूल भी खोला गया है, जिसमें करीब ४०/५० विद्यार्थी शिक्षा पाते हैं और इस ही बोर्डिंगकी इमारतमें दि० जैन यात्री तथा मुशाफरोंके लिये एक धर्मशाला भी बनाई है तथा दर्शन हेतुसे एक मन्दिरभी बनवाया है। , यहांपर श्वे० जैनियोंकी संख्या अधिक है, कई श्वे. जैन धनसम्पन्न, वैभवशाली
और प्रसिद्ध व्यापारी हैं । शहरमें अनुमान १२५ जैनमन्दिर हैं । श्वेताम्बरियोंकी कई पाठशालाएँ, सभाएँ, धर्मशालाएँ, आदि धार्मिक संस्था हैं । स्थानकवासियोंका भी अच्छा समुदाय है । यहांसे दो तीन मासिक, साप्ताहिक पत्र भी निकलते हैं।
तीन दरवाजोके पास जुम्मामस्जिद, शहाआलम मस्जिद, हाथीसींगकी कबर और 'सारखीज' में बनाया हुवा तालाव देखने योग्य है।
अहमदाबादमें देखने योग्य और स्थान ये हैं:(१) स्वामीनरायणका मन्दिर-शहरके पूर्वोत्तर भागमें, एक चौड़ी सड़क किनारे संन् १८५० का बना हुआ विशालमन्दिर है । मन्दिरमें भोगरागकी बड़ी तैयारी होती है, इसके खर्च के लिये भारी आम्दनीका प्रबंध है।
(२) पिंजरापोल (पशुशाला )मन्दिरके पास ही है। धार्मिक लोंगोंके चन्दे से लगभग एक हजार जानवर पाले जाते हैं, एक कमरेमें कीड़े भी हैं ।
(३) मोहाफिजखांकी मसजिद-स्वामी नरायणके मन्दिरसे पश्चिमोत्तर दिल्ली फाटकसे दक्षिण, सन् १४६५ की बनी मसजिद है, इसकी एक मीनार बहुत सुन्दर है।