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मध्यप्रदेश । दैविक चमत्कार।
१ इस क्षेत्रपर निरन्तर दैविक चमत्कार होते हैं। उनमें से सर्वसाधारणकी दृष्टिमें आनेवाला केशरवृष्टिका चमत्कार है। इस पर्वतके उपरी भागपर, मन्दिरोंपर, तथा वृक्षोंके पत्रोंपर केसरी रंगके विन्दु दिखलाई देते हैं । खजांके सुप्रसिद्ध शेठ और पंडित मेवारामजीने यहां आकर एक स्थानपर स्वच्छ वस्त्र विछाया था और अच्छी तरहसे विश्वास कर लिया था कि, वास्तवमें केसरकी वृष्टि होती है । और भी बहुत लोगोंने यह चमत्कार देखा है इसकी प्रसिद्धि भी बहुत है।
२ कभी २ रात्रिको पर्वतपर मनोहर बाजोंका शब्द सुनाई देता है और कभी २ एकाएक घंटानाद होता है। कहते हैं, कि ऐसी घटनाएं देवादिकोंकेआगमनके कारण होती हैं।
३ धवधवे(कंडा)के निकट पर्वतके कूलोंपर मधुमक्खियोंके बड़े बड़े भारी छत्ते हैं। ये मधुमक्खियां बड़ी ही भयंकर हैं। सैकड़ों वर्षों से ये छत्ते वरावर चले आ रहे हैं। रजस्वला स्त्री किंवा सूतक पातकयुक्त मनुष्यकी पर्वतपर चढ़नेपर बड़ी ही दुर्दश होती है । मक्खियां उसे अधमरा करके छोड़ती हैं । खूबी यह कि दूसरे साथी मनुष्योंपर एक मक्खी भी नहीं बैठती है। यह चमत्कार भी सर्वभूत है। कहते हैं कि, यह लीला इस पर्वतकी रक्षा करनेवाले किसी यक्षकी है।
मुडवारा।
यह कसवा जिला जबलपुरमें तहसीलका सदर मुकाम और बंगाल-नागपुर रेलवे और ईस्ट इडियन और इंडियन मिडलेंडके संगमपर स्टेशन है। शहरकी पूर्वकी तरफ जो स्टेशन है वह कटनी मुरखारा नामसे प्रसिद्ध है इस शहरका महत्व व्यापारके लिये बढ़ रहा है क्यों कि यहांपर गले, तेलके वीज, घी, लाहा और चूनेका व्यापार होता है, चूनेकी खाणीका काम जोरसे चल रहा है। यहांकी आबादी अनुमान १५००० है।