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________________ मध्यप्रदेश। श्री केशरियाजी (राजपुताना-माळवा) की तरह प्रभावधारी है। यहां ३ दि. जैन मन्दिरजी तथा २ चैत्यालय हैं जिनमेंसे एक मन्दिरमें श्रीऋषभदेव स्वामीकी चौथे कालकी प्रतिमा अतिशय संयुक्त पद्मासन करीव ३ फुट ऊंची श्यामवर्ण विराजमान है। बोल कबूल करनेवाले बहुत मानते है । एक धर्मशाला भी है। यहांपर मेला प्रतिवर्ष मिति कार्तिक चदी ५ को होता है । वर्षमें यात्री ४५ हजार आते हैं । प्रबंधकर्ता अमरावतीकी पंचकमैटी है जिसके व्यवस्थापक नेमासा रतनसा हैं । यहाँपर दिगम्बर जौनयोंके खाली ३ गृह हैं जिसमें ८ आदमी रहते हैं। . भेडाघाट। POORD यह छोटासा ग्राम जिला जवलपुरमें नर्मदानदीके वायें तटपर मीरगंज रेलवेस्टेशनसे ( G. I. P. Ry. ) करीव ३ मीलपर वसा है ! रास्ता अच्छा है और घोड़ा, गाडी आदि सबारी हरवक्त किरायेपर मिलती है। कहते हैं कि यहांपर भृगु ऋषि रहते थे इसलिये इसका नाम भेराघाट पडा है । यहांपर दिगम्बर जैनिका कोई भी घर नहीं है परन्तु एक शिखरबन्द मन्दिरजी अति मनोग्य है जिसमें चतुर्थ कालकी चौवीसीकी प्रतिक्वि अधिष्ठित है। पूजन प्रक्षालके लिये शेठ अमृतलाल जोरावल सिंघई लाडगंजवालोंके तरफसे एक पूजारी रहता है और कुल इन्तजाम उक्त सिंघई जीके यहांसे चलता है । सालभरमें ४ मेले वैष्णवलोगोंके होते हैं तथा वार्षिक मेला भी भरता है। यहांपर वैष्णव लोगोंकी बहुतसी खण्डित प्रतिमा हैं जिनको लोग नकटी बूची नाम कहकर पूजते हैं। यह पुतलियां खण्डित औरंगजेब वादशाहके समयकी हैं। और यहांपर सफेत पत्थर भी अच्छा निकलता है जिसके बर्तन मूर्तियां आदि हरप्रकारकी बनी हुई चीजें दूसरे देशोंको भेजी जाती हैं। भेलसी यह स्थान टीकमगढ़से २० मीलकी दूरीपर है। यहां वस्तीके वाहर एक दिगम्बर जैन मन्दिर छठी शताब्धिका बना हुआ है जिसमें ३ प्रतिमाएँ खड्गासन श्री शान्तिनाथ स्वामीकी हैं जो कई उपांगोंमें खण्डित हो गई हैं परन्तु यहांके जैनी भाईपूजन इत्यादिकका प्रबन्ध सुयोग्य रखते हैं । यहां दिगम्बर जैनियोंके गृह २४ हैं जिनमें मनुष्यसंख्या अनुमान १०० है।
SR No.010495
Book TitleBharatvarshiya Jain Digambar Directory
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakurdas Bhagavandas Johari
PublisherThakurdas Bhagavandas Johari
Publication Year1914
Total Pages446
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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