________________
२९८
मध्यप्रदेश। और पुराना मन्दिरजी है जो नर्मदा नदीके निकासपर है। यहांसे तीन नदियां नर्मदा सोन और जोहिला-निकलती हैं और जहाँसे ये जुदी २ होती हैं । वह जगह बड़ी सुहावनी है और हिंदूलोग उसको बहुत दिनोंसे पवित्र मानते हैं । अमरकंटकके शिरपर मैकाल पर्वत है उसपरसे इर्दगिर्द बड़ा सुंदर दिखाई देता है । कपिलदवड़ा मण्डवा और गुलबकावलीके महलको यात्रीलोग देखने जाते हैं । माघके महिनेमें यहां एक मेला होता है पर सूर्य और चंद्रग्रहणके समय हजारों यात्री नर्मदाको स्नान 'करनेके लिये जाते हैं।
यहांपर जैन आम्नायके परवार जाति के सिर्फ ३ गृह हैं जिसमें १६ आदमी रहते हैं। अमरकंटकमें कई धर्मशालाएँ भी हैं और पिण्डरासे अमरकंटककी तलेटीतक पक्की सडक भी तय्यार हो गई है।
पिंडरई ।
यह बड़ा ग्राम जिला मंडलामें बंगाल नागपुर रेलवेपर दहिने किनारे पर आबाद है। यहांपर जैन दिगम्बर आम्नायके गृह ७७ हैं जिनमें ३४८ मनुष्य रहते हैं। तीन शिखरबन्द दिगम्बर जैन मंदिरजी तथा एक चैत्यालय भी हैं जिनमें करीब ३० धर्मशास्त्र हैं। संवत् १९६५ वि० में यहां पर जैन हितकारणी नामकी पाठशाला खोली गई है। पाठशालाका इन्तजाम श्रीयुत श्रीजसकरण लालजी करते हैं । व्यापार ज्वार कपास तिलीका होता है । यहां बहुधा किसानलोग रहते हैं तथा बहुत भारी जंगल वस्तीके नजदीक है।
पुसद।
यह ग्राम जिला यवतमालमें तहसीलका सदर मुकाम है और पुस नदीके दहिने किनारेपर बसा है । यहांपर बालाजीका मन्दिर देखने योग्य है । दिगम्बर जौनियोंके गृह ५१ है जिनमें मनुष्यसंख्या २३० है । दिगम्बर जैन मन्दिरजी एक है जिसमें धर्मशास्त्र कुछ नहीं है। लोगोंके घर २ में करीब ५० या ६० धर्मशास्त्र हैं यह ग्राम वाशीमसे ३९ मील और यवतमालसे ६४ मील है पर रास्ता बिकट जंगली है। ज्वारी यहांपर विशेष पैदा होती है और दूसरी जगहको जाती है।