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मध्यप्रदेश । । पन्ना हीराके लिये जगप्रसिद्ध है। यहांपर महाराजा रुद्रप्रतापसिंह बहादुर के. सी. एस. आई. ने एक मन्दिर बलदेवजीके बनवाया था जो पन्नाके सब मन्दिरोमें शोभायमान विस्तृत और ऊंचा है और महाराजा माधवसिंहजीने अपने राज्यकालमें एक इमारत 'महेन्द्रभवन' नामकी तयार कराई थी सो देखनेके योग्य है ।
पनागर (देवरी)
यह ग्राम जिला जबलपुरमें G. I. P. रेलवेपर स्टेशन है। यह जैनियोंकाही ग्राम है। यह ग्राम पहले अच्छा आबाद था मगर बहुत कुछ उजाड है । दशा अच्छी है। यहांपर पहले जैनियोंकी ५००-६०० के करीब बस्ती थी। हालमें यहां दिगम्बर आम्नायके आबाद गृह ५९ हैं जिनमें २८५ आदमी बसते हैं। उक्त आम्नायके मन्दिर शिखरबन्द १७ व चैत्यालय ३ हैं जिनमें बड़े मन्दिरमें मूलनायक श्री शान्तिनाथ स्वामीकी प्रतिमा ८ फूट ऊंची खड्गासन है जिसको देखनसे ऐसा जाहिर होता है कि यह चौथे कालकी है । दूसरी प्रतिमा श्री पार्श्वनाथ स्वामीकी पद्मासन ४॥ फूट ऊंची है यह सं० १५०४ विक्रमकी है, अति मनोग्य है।
जिन महाशयोंने इसबड़ा मन्दिरको बनवाया था उनका यह विचार था कि १ जगह प्रतिमान्योछावरसे पधरावेंगे दूसरी जगह जब प्रतिमा मिलेगी तब पधरावेंगे कुछ दिनोंके बाद प्रतिमा श्रीशान्तिनाथ स्वामीकी पानीके पास स्वमा देकर मिली । इसके साथ और भी छोटी २ चार प्रतिमाएं मिली। प्रतिमा शान्तिनाथ स्वामीकी निकालते समय बायां हाथ खंडित हो गया था फिर स्वप्न हुआ कि गुड़के सीरेमें डाल दो तो अच्छी तरह जुड़ जावेगी। इसी तरह करनेसे वह जुड़ गया जिसका चिन्ह भी इस समय मौजूद है।
बड़े मन्दिरके पास और चार मन्दिरजी हैं जिनकी मरम्मत श्री. सिंगई झब्बुलालजी वा श्री० चौधरी झब्बुलालजी वा श्री. मुख्त्यार मुरलीधर, श्री. सिंघई टेकचन्दजी व श्री. चौधरी भूरेलालजीकी तरफवालोंके चन्दासे हो रही है ।
यहांपर सरस्वति भण्डारमें करीब ३०० ग्रंथ हैं । . . यहांपर जैन दिगम्बर-आम्नाय की ? पाठशाला और एक पुत्रीशाला भी प्रचलित हैं।